देहरादून : स्टिंग मामले में सीबीआई द्वारा अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और इस प्रकरण से भारत के न्यायिक इतिहास में कई संस्थाओं की परीक्षा भी होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि वह जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करेंगे। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में रावत ने कहा, ‘’मुझे देश की न्याय व्यवस्था और अपने ईष्ट देवता की शक्ति पर पूरा विश्वास है।
क्या दल-बदलुओं और इसमें सहयोग करने वालों के खिलाफ जांच नहीं होनी चाहिये? मुझे विश्वास है कि यह सारा प्रकरण भारत के न्यायिक इतिहास में कई संस्थाओं की परीक्षा का कारक बनेगा।” निर्दोष होने का दावा करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रावत ने कहा कि कांग्रेस पहले ही दल-बदलुओं के विरूद्ध अयोग्यता का दावा संवैधानिक अधिकारी के पास दायर कर चुकी थी और उस पर नोटिस जारी हो चुका था, इसलिये किसी भी दल-बदलू के समर्थन को दोबारा हासिल करने का अर्थ अपने पांव में कुल्हाड़ी मारना ही होता।
रावत ने कहा, ‘’समय किसी के बस में नहीं होता है और समय अन्तोगत्वा न्याय करता है और मुझे विश्वास है, देर से ही सही, मेरे साथ भी न्याय होगा।’’ वर्ष 2016 में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के दौरान एक स्टिंग सामने आया था, जिसमें रावत सत्ता में बने रहने के लिये भाजपा के साथ चले गये असंतुष्ट विधायकों का समर्थन दोबारा हासिल करने के लिये कथित तौर पर धन की सौदेबाजी करते दिखायी दे रहे हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ 2016 में बागी विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में प्राथमिकी दर्ज की है।
यह मामला 2016 के एक स्टिंग वीडियो से संबंधित है। इसमें रावत कथित तौर पर बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए उनकी खरीद-फरोख्त के लिए सौदे पर बातचीत करते हुए देखे गए थे। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा 30 सितंबर को सहमति जताने के बाद यह मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले जांच एजेंसी ने अदालत के सामने अपनी प्रारंभिक जांच के आधार पर एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।