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देश की पूर्वी सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए भाजपा का बंगाल में जीतना जरूरी: दिलीप घोष

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने शनिवार को कहा कि पार्टी को न केवल अपनी वैचारिक पहुंच को बढ़ाने बल्कि देश की पूर्वी सीमाओं की रक्षा करने के वास्ते भी राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के अपने मिशन को पूरा करना है।

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने शनिवार को कहा कि पार्टी को न केवल अपनी वैचारिक पहुंच को बढ़ाने बल्कि देश की पूर्वी सीमाओं की रक्षा करने के लिए भी राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के अपने मिशन को पूरा करना है। घोष ने एक साक्षात्कार में कहा कि भाजपा की विचारधारा, उसकी बढ़ी हुई संगठनात्मक ताकत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता उसकी शक्ति है, जबकि राज्य में विभिन्न स्तरों पर पार्टी में लोकप्रिय चेहरों की कमी चुनावों में भगवा खेमे की कमियों में से एक है। 
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल भाजपा के लिए न केवल इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म यहां हुआ था बल्कि इसलिए भी क्योंकि देश की सुरक्षा इसके साथ जुड़ी हुई है। हमने राज्य की सत्ता में आने के अवसर के लिए लंबे समय तक इंतजार किया है। यह हमारा मिशन और चुनौती है।’’भाजपा नेता ने कहा, ‘‘बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा, जो पश्चिम बंगाल में आती है, वह देश में सबसे अधिक असुरक्षित है। 
केन्द्र कश्मीर और अन्य अशांत क्षेत्रों में शांति लाने में समक्ष रहा है लेकिन पूर्वी सीमाएं आतंकवादी तत्वों के लिए देश में घुसपैठ कर अशांति पैदा करने के वास्ते एक पारगमन बिंदु में बदल गई है।’’ दो-तिहाई बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने का विश्वास व्यक्त करते हुए घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार विफल रही है और उसने 2011 में राज्य की सत्ता में लाने वाले लोगों की आकांक्षाओं को धोखा दिया है। राज्य विधानसभा की 294 सीटों के लिए आठ चरणों में होने वाले चुनावों के पहले चरण में 27 मार्च को मतदान होगा जबकि आखिरी चरण का मतदान 29 अप्रैल को होगा। परिणामों की घोषणा दो मई को की जायेगी। 
घोष ने कहा कि भाजपा पार्टी के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के बलिदान और राज्य में कार्यकर्ताओं की मेहनत के कारण राज्य की सत्ता में आने में सक्षम है लेकिन विभिन्न स्तरों पर लोकप्रिय चेहरों की कमी पार्टी के लिए एक खामी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी विचारधारा, मोदी जी की लोकप्रियता और हमारे कार्यकर्ताओं की मेहनत हमारी ताकत है लेकिन हमें तृणमूल कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए विभिन्न स्तरों पर कई लोकप्रिय चेहरों की जरूरत है। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के पास कई चेहरे हैं क्योंकि वे दस वर्षों से सत्ता में हैं।’’ 
यह पूछे जाने पर कि क्या पुराने नेताओं और नये चेहरों के बीच तकरार से चुनावों में भाजपा पर असर पड़ेगा तो उन्होंने कहा कि सभी को पार्टी के नियम कायदों का पालन करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को टिकट नहीं मिल सकता है। केवल कुछ उम्मीदवार होंगे और अन्य को उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारियों के अनुसार काम करना होगा। कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है।’’ भाजपा के सूत्रों और खबरों में इस तरह के संकेत दिये गये है कि आरएसएस अन्य राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं को भाजपा में शामिल करने से खुश नहीं हैं। 
उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी छोड़ना अच्छी बात नहीं है और हम (पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने के बाद) इसे रोकेंगे। लेकिन लोकतंत्र में संख्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमें (सत्ता में आने के लिए) संख्या की जरूरत है। नेताओं के साथ उनके समर्थक भी हमारी पार्टी में आते हैं।’’ घोष ने कहा, ‘‘टिकट जीत की संभावना के आधार पर दिए जाते हैं। यह जरूरी नहीं है कि अन्य दलों से शामिल हुए सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही टिकट मिलेगा।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘लोग हमारी विचारधारा और नीतियों के कारण भाजपा को वोट देंगे न कि उन नेताओं को देखकर जो अन्य संगठनों से हमारी पार्टी में शामिल हुए है।’’ घोष ने राज्य में सांप्रदायिक राजनीति के बढ़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस की ‘‘तुष्टिकरण की नीतियों’’ को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘‘सभी के लिए विकास हमारा चुनावी मुद्दा है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति के कारण राज्य में सांप्रदायिक राजनीति बढ़ी है। तृणमूल कांग्रेस इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।’’ 
उन्होंने उन खबरों को खारिज कर दिया कि हाल में पार्टी में शामिल किये गये अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को राज्य में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा सकता है। घोष ने कहा कि वह भाजपा के एक वफादार सिपाही हैं और उन्होंने हमेशा जिम्मेदारियों को निभाया है। उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे पूरी लगन से निभाऊंगा।’’ 

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