पटना : कृषि मंत्री डा. प्रेम कुमार ने कहा कि गोबर गैस संयंत्र ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ रूप में ईंधन/ऊर्जा प्राप्ति का एक प्रमुख साधन है। घर में उपलब्ध गोबर, बेकार एवं अनुपयुक्त घरेलू एवं कृषि अपशिष्ट पदार्थों यथा भूसा, पुआल, पौधों से प्राप्त पतियां, जलकुंभी एवं शैवाल आदि को एक विशिष्ट संयंत्र में डालकर प्राकृतिक प्रक्रियाओं के द्वारा गोबर गैस उत्पादित किया जाता है।
कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार राज्य में गोबर गैस का महत्व अत्यधिक है। इसके लिए जहां ऊर्जा हेतु गोबर का सर्वप्रथम उपयोग गोबर गैस के रुप में किया जाता है, वहीं संयंत्र से प्राप्त स्लरी का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन में भी किया जाता है, जो निश्चित तौर पर ऊर्जा के साथ-साथ उर्वरक प्राप्त करने में समन्वय स्थापित करता है।
गैर परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों में बायोगैस अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस विधि से उत्पादित गैस में मूलत: मिथेन, जो एक ज्वलनशील गैस है, प्राप्त होती है और इसका उपयोग आसानी से गृह कार्यों यथा खाना बनाने, रौशनी की व्यवस्था करने तथा इसके अतिरिक्त कृषिपयोगी संयंत्रों के संचालन में किया जाता है। डा. कुमार ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा 02 घनमीटर गोबर गैस संयंत्र की स्थापना करने पर अनुदान दिया जा रहा है।
दो घनमीटर के गोबर गैस संयंत्र से माह में करीब 1.5 से 2 एलपीजी सिलेन्डर के बराबर गैस प्राप्त होता है। इस योजना के अंतर्गत ईच्छुक किसान प्री-फैब्रिकेटेड, दीनबन्धु/केवीआईसी मॉडल के 02 एवं 03 घनमीटर संयंत्र की स्थापना पर लागत मूल्य का 50 प्रतिशत क्रमश: अधिकत्तम 21,000 रुपये एवं 25,000 रूपये अनुदान देय होगा। गोबर गैस संयंत्र स्थापना में किसानों को सहयोग देने हेतु गैर सरकारी संस्था/प्रतिष्ठानों को कृषि विभाग द्वारा सूचीबद्ध किया गया है, जिसकी सूची सभी जिलों को उपलब्ध करा दिया गया है।