नागालैंड में नई सरकार के गठन के साथ ही राज्य विपक्ष विहीन हो गया है। यहां के सभी राजनीतिक दलों ने एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब विधानसभा में विपक्ष नहीं होगा। इससे पहले साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी नागालैंड के सारे 60 विधायक सरकार में शामिल थे। दरअसल नागालैंड में सभी राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो को अपना समर्थन देने की पेशकश की है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें सरकार में शामिल किया जाएगा या एनडीपीपी के निर्णय तक बाहरी समर्थन माना जाएगा।
सर्वदलीय सरकार द्वारा शासित
नागालैंड 2021 में भी विपक्ष-रहित था और एनडीपीपी-बीजेपी की पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस सरकार का नाम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस (यूडीए) रखने के बाद सर्वदलीय सरकार द्वारा शासित था। विपक्ष में एकमात्र पार्टी एनपीएफ 26 विधायकों और एक निर्दलीय के साथ सरकार में शामिल हो गई थी।
एनडीपीपी-बीजेपी ने जीती 37 सीटें
वहीं 27 फरवरी को हुए चुनाव के बाद एनडीपीपी-बीजेपी ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 37 सीटें जीतीं। उन्होंने कहा कि ‘चूंकि ज्यादातर पार्टियों के विधायकों ने सरकार को अपना समर्थन पत्र सौंप दिया है, लेकिन कौन जानता है कि हमारी विपक्ष-रहित सरकार कब बनेगी। वर्तमान में, हम 37 सीटों के साथ सहज हैं।
आठ दलों ने हासिल की जीत
हाल ही में हुए चुनावों में कम से कम आठ दलों ने जीत हासिल की है, जिनमें से चार पूर्वोत्तर के बाहर से हैं। शरद पवार की एनसीपी, जो बीजेपी के 20 के बाद सात विधायकों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है, ने रियो सरकार को समर्थन दिया है। तो वहीं एनपीपी के तीन विधायक हैं, और लोक जनशक्ति पार्टी-राम विलास और रामदास अठावले के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के दो-दो विधायक हैं जो एनडीए के साथ हैं। जद (यू) के इकलौते विधायक ने भी सरकार का समर्थन किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद सबसे बड़ा
वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने गुरुवार को दावा किया कि पूर्वोत्तर में चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों को यह समझ लेना चाहिए कि अंतत: उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन करना ही होगा। शर्मा ने कहा कि देश के नेताओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कद सबसे बड़ा है और इस क्षेत्र में हर कोई उन्हें पसंद करता है।