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Gujrat Assembly Election : कांग्रेस के लिए भाजपा से मुकाबला और अपना वोट बैंक बरकरार रखने जैसी दोहरी चुनौतियां

गुजरात में इस वर्ष होने वाला विधानसभा चुनाव विपक्षी दल कांग्रेस के लिए सबसे कठिन चुनावों में से एक होने की संभावना है।

गुजरात में इस वर्ष होने वाला विधानसभा चुनाव विपक्षी दल कांग्रेस के लिए सबसे कठिन चुनावों में से एक होने की संभावना है।कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने संबंधी चुनौती सहित आम आदमी पार्टी (आप) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) जैसे दलों से अपना जनाधार बचाने जैसी दोहरी चुनौतियों का सामना कर रही है।
कांग्रेस गुजरात में मजबूत स्थानीय नेताओं और सक्रिय कार्यकर्ताओं की कमी 
आप और एआईएमआईएम जैसे दल गुजरात में काफी सक्रिय हो गए हैं और अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।हालांकि, कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रवक्ता ने दावा किया है कि लोग इस साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनाव में उनकी पार्टी को वोट देंगे क्योंकि राज्य की आम जनता भाजपा के दो दशकों से अधिक समय से चल रहे कुशासन से तंग आ चुकी है।लेकिन, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस गुजरात में मजबूत स्थानीय नेताओं और सक्रिय कार्यकर्ताओं की कमी के अलावा अंदरूनी कलह से भी जूझ रही है।यह उल्लेख करते हुए कि कांग्रेस 1995 के बाद से गुजरात में विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है, राजकोट निवासी राजनीतिक पर्यवेक्षक सुरेश समानी ने पीटीआई-भाषा से कहा यह गुजरात में कांग्रेस के लिए सबसे कठिन चुनावों में से एक होगा।
 लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया 
उन्होंने कहा कि 2017 में कांग्रेस ने 182 सदस्यीय विधानसभा में 77 सीट जीती थीं और बड़ी संख्या में लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था। गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने कांग्रेस के प्रति अपना विश्वास जताया था। भाजपा ने 99 सीट हासिल करने के साथ सत्ता में वापसी की थी।सुरेश समानी ने कहा, 2017 के चुनाव के समय किसान समुदाय खुश नहीं था क्योंकि उसे अपनी फसल की उपज का अच्छा मूल्य नहीं मिल रहा था।
 पिछले पांच वर्षों में, राज्य में भाजपा की सरकार ने मूंगफली जैसी व्यावसायिक फसलों सहित प्रत्येक कृषि उपज को उचित रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत बेहतर कीमत देकर खरीदा है। ग्रामीण आबादी के पास अब शिकायत करने के लिए कुछ भी नहीं है।उन्होंने कहा कि शहरी मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के मतदाता बढ़ती महंगाई के बावजूद हिंदुत्व सहित विभिन्न कारणों से भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं।
कांग्रेस की योजना के बहुत अधिक कामयाब होने की संभावना
समानी ने कहा इसलिए, राज्य के शहरी क्षेत्रों में अपना जनाधार मजबूत करने की कांग्रेस की योजना के बहुत अधिक कामयाब होने की संभावना नहीं है।कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले गुजरात के उत्तरी और कुछ आदिवासी क्षेत्रों में भी पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है क्योंकि पिछले पांच वर्षों के दौरान इसके कई कद्दावर नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं।समानी के मुताबिक, कांग्रेस में अंदरूनी कलह और सक्रिय कार्यकर्ताओं की कमी भी पार्टी के लिए चिंता का कारण है।
गुजरात में निरंतर अपनी स्थिति मजबूत करते
कांग्रेस के सामने दूसरी चुनौती अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप और असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम जैसी पार्टी हैं, जो गुजरात में निरंतर अपनी स्थिति मजबूत करते हुए कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही हैं।आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में हाल के समय में कई रैलियां की हैं और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लोगों से उसे वोट नहीं देने की अपील की है।
भाजपा को कड़ी टक्कर देने की कोशिश 
केजरीवाल का कहना है कि कांग्रेस के पास भाजपा को हराने की क्षमता नहीं है। गुजरात में आप भाजपा को कड़ी टक्कर देने की कोशिश कर रही है।छोटू वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने भी आदिवासी मतों के लिए कांग्रेस को टक्कर देने के लिए आप के साथ गठबंधन की घोषणा की है।एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने हाल ही में अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने के उद्देश्य से अहमदाबाद, उत्तरी गुजरात के वडगाम और कच्छ में कुछ मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया था। औवैसी गुजरात में अपनी पार्टी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
 गुजरात इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा 
वहीं, एक अन्य राजनीतिक पर्यवेक्षक हरि देसाई का मानना है कि कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है यदि वह खाम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) वोट बैंक की ओर ध्यान दे तथा असंतुष्ट पटेल समुदाय के लोगों का भी वोट हासिल करने की कोशिश करे।हालांकि, कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि गुजरात के लोग दो दशकों से अधिक समय से भाजपा के अहंकार और कुशासन से तंग आ चुके हैं तथा यह 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रतिबिंबित होगा क्योंकि वे सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मतदान करेंगे।
केंद्रीय नेतृत्व सबकुछ बारीकी से देख रहा 
दोशी ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने एक रणनीति बनाई है और पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सबकुछ बारीकी से देख रहा है और हमें निर्देश दे रहा है कि चुनाव में क्या नीति अपनाई जाए। हमने इस चुनाव को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सी आर पाटिल के खिलाफ लड़ाई बनाने का फैसला किया है।’’उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम विपक्ष नहीं बनाना चाहती।

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