गुजरात सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि वह राज्य के लिये चिकित्सीय ऑक्सीजन आवंटन को बढ़ाकर 1400 मीट्रिक टन करे, क्योंकि राज्य में इस जीवन रक्षक गैस की कमी है जिसकी वजह से वह कोविड मरीजों के लिये 11500 अतिरिक्त बिस्तरों का संचालन नहीं कर पा रहा। गुजरात का कहना है कि राज्य के लिये केंद्र द्वारा किया गया मौजूदा 975 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्धारण उसकी जरूरतों से कहीं कम है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को लिखे गए पत्र में गुजरात के मुख्य सचिव अनिल मुकीम ने कहा, “भारत सरकार ने गुजरात के लिये (चिकित्सीय ऑक्सीजन का) आवंटन 975 मीट्रिक टन से नहीं बढ़ाया है, जिसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होने की कोशिश कर रहे और ऑक्सीजन सहायता चाह रहे मरीजों का काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पतालों, बिस्तरों और चिकित्साकर्मियों की उपलब्धता के बावजूद ऑक्सीजन की कमी की वजह से अस्पतालों को उन्हें भर्ती करने से इनकार करना पड़ रहा है।”
छह मई को लिखे गए इस पत्र के साथ राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक हलफनामा भी संलग्न किया गया है। उच्चतम न्यायालय कोविड-19 से संबंधित मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रहा है। मुकीम ने कहा कि गुजरात में 1190 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की तात्कालिक मांग है। पत्र में कहा गया कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से (राज्य में) 26 अप्रैल को ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों की संख्या की मांग 53913 से बढ़ाकर 57368 की गई थी जिसके बाद अतिरिक्त आवंटन का अनुरोध किया गया था।
इसी के मुताबिक गुजरात में चिकित्सीय ऑक्सीजन की आवश्यकता भी अनुमानित 1250 मीट्रिक टन (30 अप्रैल को) से बढ़कर आज (छह मई को) 1400 मीट्रिक टन हो गई है और इसके 15 मई तक बढ़कर 1600 मीट्रिक टन हो जाने की संभावना है।