गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मंगलवार को कृषि वैज्ञानिकों से खेती को आसान बनाने तथा किसानों को कृषि के प्राकृतिक तरीको की ओर उन्मुख करने में मदद पहुंचाने के लिए नवोन्मेष पर काम करने का आह्वान किया।
देवव्रत ने यहां आणंद कृषि विश्वविद्यालय में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण पर तीन दिवसीय ‘वाइब्रेंट गुजरात’ समारोह में अपने संबोधन में वर्तमान कृषि में प्रयोग किये जा रहे रसायनों के दुष्प्रभावों से बचने के तरीके के तौर पर प्राकृतिक कृषि की ओर मुड़ने की जरूरत प्रमुखता से सामने रखी। इस कार्यक्रम में सहमति ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर हुए जिसके तहत कृषि क्षेत्र में 2359 करोड़ रूपये के निवेश का प्रस्ताव है।
यह रसायनों के दुष्प्रभावों से निजात पाने का नितांत आवश्यक काल है
इसके अंतर्गत 650 किलोलीटर रोजाना क्षमता वाले दो इथेनॉल संयंत्र लगाये जायेंगे तथा कृषि हरित ई-कॉमर्स परियोजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। देवव्रत ने कहा कि कृषि में रसायनों के भारी इस्तेमाल से प्रकृति को बड़ा नुकसान पहुंचा है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल ने कहा, ‘‘ यदि हम प्राकृतिक कृषि की ओर मुड़ते हैं तो हम प्रकृति को बचा पायेंगे तथा अच्छी सेहत कायम रख पायेंगे। यह रसायनों के दुष्प्रभावों से निजात पाने का नितांत आवश्यक काल है।’’
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गुजरात सरकार उसके सतत विकास के लिए प्रयास कर रही है
कृषि के क्षेत्र में और अनुसंधान की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने वैज्ञानिकों से खेती को आसान बनाने तथा किसानों को कृषि के प्राकृतिक तरीको की ओर उन्मुख करने में मदद पहुंचाने के लिए नवोन्मेष पर काम करने का आह्वान किया। देवव्रत ने विश्वास व्यक्त किया कि इस कार्यक्रम से देशभर के किसानों के जीवन में खुशहाली एवं समृद्धि लाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार उसके सतत विकास के लिए प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के समापन सत्र को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करेंगे। ‘कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण: सहकारी आत्मनिर्भर कृषि’ विषयक इस सम्मेलन में देशभर से 5000 किसान एवं 23 राज्यों से अधिकारी हिस्सा लेंगे।