गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों की मतगणना अलग-अलग तारीखों पर कराने के राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी गई थी। जहां एक ओर गुजरात भाजपा ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, वहीं कांग्रेस ने कहा कि वह इस निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जनवरी में घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, छह नगर निगमों के चुनाव 21 फरवरी को होंगे और मतों की गिनती 23 फरवरी की जाएगी। वहीं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव 28 फरवरी को होंगे, और मतों की गिनती 2 मार्च को की जाएगी। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति इलेश वोरा की पीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग के 23 जनवरी के परिपत्र को निरस्त करने की मांग की गई थी, जिसमें 23 फरवरी और 2 मार्च को मतगणना की तारीख तय की गई थी।
इस याचिका को दो फरवरी को नटवर महिदा, गोविंद परमार और जगदीश मकवाना ने संयुक्त रूप से दायर की थी। मुख्य दलील यह थी कि छह नगर निगमों के परिणाम 23 फरवरी को घोषित किये जाने से नगर पालिकाओं के मतदाताओं के साथ-साथ जिला और तालुका पंचायत निकाय चुनाव प्रभावित होंगे, जो 28 फरवरी को होंगे। याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ के लिए मतगणना की तारीख समान होनी चाहिए। राज्य निर्वाचन आयोग ने हालांकि तर्क दिया कि कोरोनोवायरस के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग तारीखें निर्धारित की गईं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने हाईकोर्ट के फैसले पर नाखुशी जताते हुुए कहा कि उनकी कानूनी टीम शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला लेने से पहले अदालत के आदेश का अध्ययन करेगी।