गुजरात दंगा 2002 मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। दिवंगत कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने याचिका दायर कर नरेंद्र मोदी को एसआईटी द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि भविष्य की तारीखों पर याचिकाकर्ता (जाकिया जाफरी) के कहने पर और स्थगन के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा। पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता के अनुरोध पर सुनवाई 26 अक्टूबर तक के लिए टाल दी जाती है।’’
पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि भविष्य की तारीखों पर याचिकाकर्ता के कहने पर आगे स्थगन के किसी अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा।” पीठ ने याचिकाकर्ता को मामले में अतिरिक्त संकलन दाखिल करने का मौका दिया। जाकिया जाफरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शुरुआत में कहा कि यह मामला अचानक सामने आया है और करीब 23,000 पृष्ठों का रिकॉर्ड है और वे एक सुविधाजनक संकलन वितरित करेंगे।
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पीठ ने कहा कि मामले को काफी पहले ही अधिसूचित कर दिया गया था। सिब्बल ने कहा कि इसे अचानक शुक्रवार को अधिसूचित किया गया था। उन्होंने कहा कि इसे इस साल अप्रैल में स्थगित कर दिया गया था और महामारी के कारण सुनवाई के लिए नहीं आ सका। उन्होंने मामले को एक निश्चित तिथि को सूचीबद्ध करने का पीठ से अनुरोध किया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुविधाजनक संकलन के आधार पर पिछले डेढ़ साल से अनुरोध किया जा रहा है। हालांकि पीठ ने कहा कि यह मामला 2018 से लंबित है। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग से 59 लोगों की मौत और उसके बाद गुजरात में हुए दंगों के बीच 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोग मारे गए थे।
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एसआईटी ने आठ फरवरी 2012 को, मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों सहित 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट देते हुए एक ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दायर की थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि उनके खिलाफ’ मुकदमा चलाने लायक कोई सबूत नहीं है।’’ जाकिया जाफरी ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर गुजरात हाई कोर्ट के पांच अक्टूबर, 2017 के आदेश को चुनौती दी थी।
गुजरात हाई कोर्ट ने एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने अपने 2017 के आदेश में कहा था कि विशेष जांच दल की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा था। हालांकि उसने इस मामले आगे जांच कराने के बारे में जाकिया जाफरी की मांग आंशिक रूप से स्वीकार कर ली थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता इसकी आगे जांच कराने के लिए मजिस्ट्रेट की कोर्ट, हाई कोर्ट की खंडपीठ या सुप्रीम कोर्ट सहित किसी उचित मंच के समक्ष अपना मामला रख सकता है।