भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि गुवाहाटी विश्वविद्यालय ने करीब 74,000 छात्रों के कॅरियर को खतरे में डाल दिया है और अपने दूरस्थ शिक्षा केंद्र के माध्यम से 21 गैर स्वीकृत पाठ्यक्रमों के लिए सात साल तक छात्रों से 39 करोड़ रुपये एकत्र किए थे।
कैग की रिपोर्ट को असम विधानसभा में जारी शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया गया था। इसमें कहा गया है कि पूर्वोत्तर के सबसे पुराने विश्वविद्यालय ने यूजीसी को कई गलत हलफनामे दिए थे जबकि उसने आयोग को आश्वासन दिया था कि वह बगैर स्वीकृति के कोई नया पाठ्यक्रम नहीं शुरू करेगा।
कैग ने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने दूरस्थ शिक्षा परिषद (डीईसी) की स्वीकृति के साथ अगस्त 2010 में 2010-11 से तीन साल के आठ पाठ्यक्रमों के लिए गुवाहाटी विश्वविद्यालय (जीयू) के दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा संस्थान (आईडीओएल) को मान्यता दी थी।
इसके अनुसार यह मान्यता यूजीसी, डीईसी और अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की संयुक्त समिति की सिफारिशों के आधार पर मिली थी। कैग ने कहा, “ऑडिट में यह पता चला कि आईडीओएल, जीयू ने 2010 से 2016-17 के दौरान ओडीएल (मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा) के तहत स्वीकृत आठ पाठ्यक्रमों के अलावा 21 गैर स्वीकृत पाठ्यक्रमों की पेशकश की थी।”