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निम्मी रानी बनीं बिहार की पहली ऑप्थेलोमोलॉज्स्टि, जिसने टॉरिक पेनॉप्टिक्स आई ओ एल इंप्लांट किया

जरुरी जांच के बाद इन्हें टॉरिक पेनॉप्टिक्स आई ओ एल इंप्लांट कराने का फैसला किया गया। यह इंप्लांट बिहार में पहली बार सफलतापूर्वक किया गया।

पटना : सगुना मोड़ स्थित दृश्टिपुंज नेत्रालय की निदेषक डॉ निम्मी रानी ने 75 वर्शीय पुरुश को टॉरिक पेनॉप्टिक्स आई ओ एल इंप्लांट कर बिहार की पहली ऑप्थेलोमोलॉजिस्ट होने का गौरव हासिल किया है। यह सर्जरी दृश्टिपुंज नेत्रालय में की गई। इंप्लांट से स्फेरिकल एरर, सिलिंडिरकल एरर और नियर विजन में मरीज को कोई परेषानी नहीं होगी। मरीज अब पहले से काफी बेहतर है और अब उसे कंप्युटर पर काम करने, ड्राइविंग , बुक पढने , नजदीक या दूर देखने के लिए किसी प्रकार के चष्मे की जरुरत नहीं पडेगी।

इस संबंध में दृष्टिपुंज नेत्रालय की निदेषक डॉ निम्मी रानी ने बताया कि यह इंप्लांट वैसे मरीज का किया गया जिनकी उम्र 75 साल थी और बिना किसी के सहायता से अपनी आंखों से दुनिया देखने की चाहत के साथ कंप्युटर चलाने, ड्राइविंग करने और बिना ग्लास के बुक पढने की इच्छा लिए सालों से कमजोर रोषनी से परेषान थे। कुछ जरुरी जांच के बाद इन्हें टॉरिक पेनॉप्टिक्स आई ओ एल इंप्लांट कराने का फैसला किया गया। यह इंप्लांट बिहार में पहली बार सफलतापूर्वक किया गया।

इस उपलब्धि के संबंध में रेटिना विषेषज्ञ डा0 सत्यप्रकाष तिवारी ने बताया कि पहली बार दृष्टिपुंज नेत्रालय में लेटेस्ट तकनीक के टॉरिक पेनॉप्टिक्स आई ओ एल इंप्लांट के सफलता पर उन्हें अपनी पूरी टीम पर गर्व है।

ग्लुकोमा विषेशज्ञ डॉ0 रणधीर झा ने कहा कि सगुना मोड़ स्थित डी.एस. बिजनेस पार्क के दूसरे तल्ले पर दृष्टिपुंज नेत्रालय में उपलब्ध सेवाएं बिहार के मरीजों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है और आंखों की जटिल से जटिल बीमारियों के लिए मरीजों को अब प्रदेष से बाहर जाने की जरुरत नहीं पडेगी। रेटिना (आंख के पर्दे) के इलाज के लिए दुनिया की सर्वश्रेश्ठ मषीन एल्कॉन यू.एस.ए. कॉस्टेलेषन आंख के पर्दे के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। दृश्टिपूंज नेत्रालय में पहले से स्विट्जरलैण्ड की ओरटेली विट्रिओक्टोमी मषीन है और अब इस मषीन से रेटिना से जुडी हर गंभीर बीमारी का इलाज अब पटना में ही संभव हो गया है।

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