देहरादून : उत्तराखंड में 2016 के हॉर्स-ट्रेडिंग मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में चल रही जांच में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता हरक सिंह रावत उच्च न्यायालय से अपनी याचिका वापस ले सकते हैं। श्री हरक सिंह ने अदालत को इस बारे में जानकारी दे दी है। उनका का कहना है कि यह उनकी राजनैतिक लड़ाई थी। जिसका मकसद पूरा हो गया है और जो लाभ उन्हें मिलना चाहिए था वह मिल गया है।
अत: अब इस मामले को आगे बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है। वर्ष 2016 में राज्य में कांग्रेस की सरकार में श्री रावत मुख्यमंत्री थे और उनके 11 विधायकों में मंत्री हरक सिंह रावत भी शामिल थे। उन्होंने श्री रावत के खिलाफ बगावत करके सरकार गिराने का प्रयास किया था। विदित है कि इस मामले में तत्कालीन राज्यपाल के. के. पॉल की सिफारिश पर यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। जिसमें बाद में हरीश रावत सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया था। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने सभी 12 बागी विधायकों को अयोज्ञ करार दिया था।
इस मामले ने उस समय नया मोड़ लिया जब टीवी पत्रकार उमेश शर्मा ने श्री रावत का एक स्टिंग ऑपरेशन भी किया था। जिसमें श्री हरक सिंह को मनाने तथा सभी विधायकों की वापसी के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत लेने देने की बात करते नजर आ रहे है। स्टिंग करने वाले पत्रकार खुद ही पैसों का इंतजाम करने की बात कर रहे है। गौरतलब है कि 2016 में विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप में किए गए एक स्टिंग में केंद्र सरकार ने 2 अप्रैल, 2016 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद सीबीआई जांच शुरू की थी।
तब राज्य में कांग्रेस सरकार की बहाली हो गई और सरकार ने कैबिनेट बैठक में सीबीआई जांच को निरस्त कर मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। इसके बाद भी सीबीआई ने जांच जारी रखी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जांच के लिए 9 अप्रैल, 2016 को समन भेजा।