पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) ने बुधवार को घोषणा की कि किसानों की कर्ज माफी, मुद्दे पर पिछले 19 दिनों से अनशन पर बैठे पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने बुधवार को अनशन खत्म किया। करीब 3 बजे खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश पटेल, उमाधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रहलाद पटेल ने नारियल पानी पिलाकर हार्दिक का अनशन खत्म करवाया। हार्दिक पटेल आरक्षण और राजद्रोह के मामले में जेल में बंद अपने एक साथी की रिहाई की मांग को लेकर गत 25 अगस्त से आमरण अनशन पर बैठे थे। इसके नेता हार्दिक पटेल आज 19वें दिन अपना उपवास समाप्त कर दिया है।
पास के प्रवक्ता मनोज पनारा ने कहा कि उनके समुदाय के वरिष्ठजनों और पास के संयोजकों की एकराय है कि हार्दिक का स्वस्थ रहना भविष्य के आंदालनों के लिए जरूरी है। समुदाय की दो शीर्ष संस्थाओं खोडलधाम और उमियाधाम के प्रमुखों के हाथों वह बुधवार दोपहर बाद तीन बजे उपवास समाप्त करेंगे। तीनो मांगों को लेकर आंदोलन जारी रहेगा।
इस बीच, हार्दिक के पूर्व साथी और भाजपा नेता केतन पटेल ने कहा कि पाटीदार समाज ने अब समझ लिया है कि हार्दिक पटेल राजनीतिक कारणों से आंदोलन को किसी तरह जिंदा रखना चाहते हैं। राज्य सरकार ने पहले ही पाटीदार आंदोलन संबंधी अधिकतर संभव मांगों को मान लिया था और आंदोलन तभी समाप्त हो जाना चाहिए था पर हार्दिक अपने निजी महत्वाकांक्षा को लेकर इसे किसी तरह जारी रखना चाहते थे। इसलिए अब उन्हें कोई समर्थन नहीं मिल रहा।
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उनके पिछले कार्यक्रमों के दौरान हुई तोड़फोड़ और हिंसा चलते बाहर उपवास आंदोलन की अनुमति नहीं मिलने पर अपने आवास ग्रीनवुड रिसार्ट में आमरण अनशन पर बैठे हार्दिक पटेल को उपवास के 14 वें दिन सात सितंबर को पहले सरकारी अस्पताल में और बाद में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद 9 सितंबर को वापस वह अपने आवास पर आकर अनशन पर बैठ गए। वही, आज कुल मिला कर उनके अनशन का 19वां दिन है।
उन्होंने इस बीच दो बार पानी का त्याग भी किया था पर इसे फिर से लेना शुरू कर दिया था। हार्दिक कैंप की ओर से बार-बार दिए गए अल्टीमेटम के बावजूद राज्य की भाजपा सरकार ने इस बार कड़ा रूख बनाये रखा। उसने कहा कि हार्दिक ने पिछले चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया था कि अब भी वह उसी के इशारे पर आगामी लोकसभा चुनाव में उसे लाभ दिलाने की नीयत से यह आंदोलन कर रहे हैं।
हार्दिक से मिलने वालों में अधिकतर कांग्रेस के नेता थे इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा तथा कई अन्य ऐसे चेहरे शामिल थे।