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हरीश रावत मेरे बड़े भाई है, उनसे 100 बार भी माफी मांग सकता हूं…. पूर्व BJP नेता हरक सिंह रावत

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत आज फिर से कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। हरक सिंह रावत के साथ उनकी बहू अनुकृति भी कांग्रेस जॉइन करेंगी

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत आज फिर से कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। हरक सिंह रावत के साथ उनकी बहू अनुकृति भी कांग्रेस जॉइन करेंगी। रावत अपनी बहू के साथ आज दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस का हाथ थामेंगे। 
बीजेपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कांग्रेस में शामिल होने की खबर पर मीडिया से कहा कि मेरी आज सुबह बातचीत हुई है वे (हरीश रावत) आगे बताएंगे कि क्या होगा। वे मेरे बड़े भाई हैं, मैं अपने बड़े भाई से 100 बार भी माफी मांग सकता हूं। कांग्रेस पार्टी का अपना निर्णय है। 2016 में परिस्थितियां अलग थीं
2016 की वह रात, जब BJP की बस में सवार हुए थे हरक
हरक सिंह रावत के लिए पाला बदलना कोई नई बात नहीं है। वह मौकापरस्ती के माहिर खिलाड़ी माने जाते रहे हैं। इस बार वह सीट नहीं बदलते, तो यह अपने आप में रेकॉर्ड हो जाएगा। 2016 में हरीश रावत सरकार को मुश्किल में डाल हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा और 8 अन्य विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी विधायकों के साथ वे बस में भर आधी रात राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। यह भी संयोग है कि बीजेपी से आधी रात ही उनकी विदाई भी हो गई। हरीश रावत और हरक सिंह रावत कभी गहरे दोस्त रहे। सीएम की कुर्सी की महत्वाकांक्षा ने इस दोस्ती में दरार डाली। अब ठीक छह साल बाद हरक अब पुराने दोस्त के साथ खड़े दिख रहे हैं। आखिर ऐसा क्यों हुआ इसकी पूरी कहानी पिछले दिनों का घटनाक्रम बयां करता है।
3 टिकटों की जिद और आधी रात निकाले गए हरक
पूरा खेल 3 टिकटों का है। हरक अपने लिए सेफ सीट चाहते थे। यमकेश्वर, केदारनाथ और डोईवाला उनकी पसंदीदा सीटें बताई जा रही हैं। इसके अलावा दो टिकट परिवार के लिए भी मांग रहे थे। रावत इसके लिए अपने खासमखास विधायक उमेश शर्मा काऊ को लेकर दिल्ली रवाना हुए थे। उनके साथ उनकी बहू अनुकृति गुसाईं भी थीं। रावत बहू के लिए लैंसडाउन की सीट चाहते हैं। पर मामला सेट नहीं हुआ। बताया जाता है कि बीजेपी हरक को मनचाही सीट देने को तैयार थी। पर परिवार के लिए दो सीटों की जिद ने सारा खेल बिगाड़ दिया। नतीजा आधी रात कैबिनेट और पार्टी से उनकी विदाई के तौर पर हुआ। हरक के लिए संकेत साफ है कि वह कांग्रेस का दाम थाम सकते हैं। पार्टी अब और मोलभाव नहीं करेगी।

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