उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने शुक्रवार को केंद्र के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के निर्णय को किसानों और राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकतांत्रिक प्रतिपक्ष के लगातार संघर्ष की जीत बताया।
राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकतांत्रिक प्रतिपक्ष की भी जीत
कृषि कानूनों को वापस लेने के केंद्र के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए रावत ने कहा, ‘‘लोकतंत्र आखिरकार जीत गया। किसानों का सामूहिक और लगातार संघर्ष जीत गया।’’ उन्होंने कहा कि यह राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकतांत्रिक प्रतिपक्ष की भी जीत है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वह पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने इन्हें काला कानून बताया था और विरोध में पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर रैलियां निकाली थीं।
इस अभूतपूर्व विजय के लिए मैं किसानों को बधाई देता हूंँ और लोकतंत्र की भी विजय मानता हूंँ क्योंकि सत्ता का अहंकार जनता के संघर्ष के सामने झुका है।— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) November 19, 2021
कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को और मजबूत कर दिया है
रावत ने कहा कि केंद्र का यह तर्क कि ये कानून इसलिए वापस लिए जा रहे हैं, क्योंकि वह किसानों को समझा नहीं सका, उसके अहंकार को दिखाता है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रावत ने कहा कि कानूनों की वापसी ने पंजाब और उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को और मजबूत कर दिया है।
भाजपा को इससे राहत मिलने का कोई मौका नहीं है
यह पूछे जाने पर कि क्या इस निर्णय से भाजपा को मदद मिलेगी, रावत ने कहा कि अब भाजपा को इससे राहत मिलने का कोई मौका नहीं है, क्योंकि निर्णय बहुत देर से आया है। रावत ने केंद्र से उन किसान परिवारों से क्षमा मांगने को कहा जिन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में अपने प्रियजनों को खोया है। उन्होंने संघर्ष के दौरान मारे गए किसानों को शहीद का दर्जा देने की भी केंद्र से मांग की।