बंगाल सीएम ममता बनर्जी को कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया हैं, राज्य सरकार द्वारा महत्वाकांक्षी योजना को हाईकोर्ट ने गैर कानूनी बताया हैं। दरअसल ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव के समय दुआरे राशन योजना शुरू करने का एलान किया था, जिस पर सरकार बनने के बाद अमल में लाया गया। हाईकोर्ट ने इस योजना को गैर कानूनी करार किया हैं। दुआरे राशन योजना के तहत लाभार्थी के घर पर सरकार के नुमाइंदे खुद राशन दे रहे थे। इस योजना का उद्घाटन ममता बनर्जी ने पिछले साल ही किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस योजना को गैर कानूनी बताया हैं।
ममता सरकार की हाईकोर्ट में दलील
ममता सरकार ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में दलील दी इस महत्वाकांक्षी योजना से लोगों को लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ा हैं, व योजना के तहत 10 लाख परिवारों को लाभ पहुंचा हैं। इस मामले में अदालत ने अभी फैसला सुरक्षित रख लिया हैं। 11 अक्टूबर को कलकत्ता हाईकोर्ट में इस पर सुनवाई की जाएगी।
राशन डीलरों ने किया था योजना का विरोध
लाभार्थियों को राशन वितरण करने वाले डीलरों ने सरकार की इस योजना के खिलाफ अदालत में चुनौती दी थी, डीलरों ने हाईकोर्ट को कहा था कि राज्य में इस योजना को पूरा करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं नहीं हैं। ममता सरकार ने डीलरों के ऊपर आर्थिक रूप से बोझ डाल दिया था , सरकार ने कहा था कि एक गाड़ी में राशन ले जाकर लाभार्थियों के 500 मीटर के दायरे में सप्लाई करनी हैं। जो इस कार्य में कर्मचारी काम करने वाले होंगे उसकी वेतन का आधा भार राज्य सरकार वहन करेंगी। लेकिन आधी तो डीलर पर बोझ उत्पन्न करेंगी।
आपको बता दे की इस योजना का ताना ममता बनर्जी सियासी रूप से विपक्षी सरकार वाले राज्यों को मारती थी, लेकिन हाईकोर्ट ने अपने वक्तव्य में इस योजना को गैर कानूनी बताया हैं। हाईकोर्ट की इस प्रकार की टिप्पणी करना बहुत अफसोसनाक माना जाता हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया हैं । अब इस पर 10 अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी।
ममता सरकार की हाईकोर्ट में दलील
ममता सरकार ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में दलील दी इस महत्वाकांक्षी योजना से लोगों को लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ा हैं, व योजना के तहत 10 लाख परिवारों को लाभ पहुंचा हैं। इस मामले में अदालत ने अभी फैसला सुरक्षित रख लिया हैं। 11 अक्टूबर को कलकत्ता हाईकोर्ट में इस पर सुनवाई की जाएगी।
राशन डीलरों ने किया था योजना का विरोध
लाभार्थियों को राशन वितरण करने वाले डीलरों ने सरकार की इस योजना के खिलाफ अदालत में चुनौती दी थी, डीलरों ने हाईकोर्ट को कहा था कि राज्य में इस योजना को पूरा करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं नहीं हैं। ममता सरकार ने डीलरों के ऊपर आर्थिक रूप से बोझ डाल दिया था , सरकार ने कहा था कि एक गाड़ी में राशन ले जाकर लाभार्थियों के 500 मीटर के दायरे में सप्लाई करनी हैं। जो इस कार्य में कर्मचारी काम करने वाले होंगे उसकी वेतन का आधा भार राज्य सरकार वहन करेंगी। लेकिन आधी तो डीलर पर बोझ उत्पन्न करेंगी।
आपको बता दे की इस योजना का ताना ममता बनर्जी सियासी रूप से विपक्षी सरकार वाले राज्यों को मारती थी, लेकिन हाईकोर्ट ने अपने वक्तव्य में इस योजना को गैर कानूनी बताया हैं। हाईकोर्ट की इस प्रकार की टिप्पणी करना बहुत अफसोसनाक माना जाता हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया हैं । अब इस पर 10 अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी।