सोशल मीडिया के मशहूर माइक्रोब्लोगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर इंडिया की परेशानियां कुछ हद तक शुक्रवार को कम हुई है। ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस के नोटिस को खारिज कर दिया।
यूपी पुलिस के नोटिस में ट्विटर मंच पर एक व्यक्ति द्वारा अपलोड किए गए सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील वीडियो की जांच के तहत उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा गया था। अदालत ने नोटिस को रद्द करते हुए कहा कि इसे दुर्भावना से जारी किया गया था।
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 (ए) के तहत नोटिस को धारा 160 के तहत माना जाना चाहिए, जिससे गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी से उनके कार्यालय या बेंगलुरु में उनके आवासीय पते पर डिजिटल तरीके से पूछताछ करने की अनुमति मिलती है।
अदालत ने कहा कि धारा 41 (ए) के तहत कानूनी प्रावधानों को उत्पीड़न का औजार बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और गाजियाबाद पुलिस ने ऐसी कोई सामग्री नहीं पेश की, जिससे प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की संलिप्तता का पता लग सके जबकि सुनवाई पिछले कई दिनों से चल रही है। अदालत ने कहा, इस तथ्य की पृष्ठभूमि में कि धारा 41 (ए) के तहत नोटिस दुर्भावना से जारी किया गया था, यह रिट याचिका (माहेश्वरी द्वारा दायर याचिका) स्वीकार करने योग्य है।’’
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 (ए) के तहत नोटिस को धारा 160 के तहत माना जाना चाहिए, जिससे गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी से उनके कार्यालय या बेंगलुरु में उनके आवासीय पते पर डिजिटल तरीके से पूछताछ करने की अनुमति मिलती है।
अदालत ने कहा कि धारा 41 (ए) के तहत कानूनी प्रावधानों को उत्पीड़न का औजार बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और गाजियाबाद पुलिस ने ऐसी कोई सामग्री नहीं पेश की, जिससे प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की संलिप्तता का पता लग सके जबकि सुनवाई पिछले कई दिनों से चल रही है। अदालत ने कहा, इस तथ्य की पृष्ठभूमि में कि धारा 41 (ए) के तहत नोटिस दुर्भावना से जारी किया गया था, यह रिट याचिका (माहेश्वरी द्वारा दायर याचिका) स्वीकार करने योग्य है।’’