नैनीताल : उत्तराखंड के निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में शुल्क (फीस) बढ़ोतरी के मामले को जनहित याचिका के माध्यम से न्यायालय में चुनौती दी गयी है। उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार और लगभग 18 कॉलेजों को नोटिस जारी कर सभी पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश जारी किये हैं। मामले की सुनवाई मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई।
दरअसल देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता मोहित उनियाल ने जनहित याचिका में कहा है कि प्रदेश के निजी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों ने बीएमएमएस के पाठ्यक्रम के शुल्क में कई गुना बढ़तरी कर दी है। वर्ष 2018-19 में शुल्क 80 हजार रुपये थी, जो कि बढ़कर 2.25 लाख रुपये कर दी गयी है। साथ ही साढ़े चार साल के पाठ्यक्रम के बदले पांच साल की पूरी शुल्क वसूली जा रही है। इससे गरीब छात्रों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय भट्ट और विनोद तिवारी ने कहा कि बढ़ा हुआ शुल्क पिछली तारीख से वसूला जा रहा है। जिन गरीब छात्रों द्वारा बढ़ शुल्क का भुगतान नहीं किया जा रहा है। उन्हें कालेज प्रबंधन की ओर से प्रताड़त किया जा रहा है। उन्हें कक्षा में बैठने से रोक दिया जा रहा है। जिससे उनकी उपस्थिति प्रभावित हो रही है।
याचिकाकर्ता ने 17 कॉलेजों को पक्षकार बनाया गया
याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में आयुष विभाग, निदेशक आयुष, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय समेत 17 कालेजों को पक्षकार बनाया गया है। ये कालेज हैं- उत्तराखंड आयुर्वेदिक कालेज, देहरादून, हिमालय आयु। मेडिकल कॉलेज, डोईवाला, क्वाद्रा इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेदा, रूड़की, मदरहुड आयुर्वेदा मेडिकल कॉलेज, रूड़की, ओम आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अनुसंधान केन्द्र, रुड़की, देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद एवं अस्पताल, देहरादून, हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, दून इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फैकल्टी मेडिकल साइंस देहरादून, बीहाइव आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, सेलाकुईं देहरादून, विशम्बर शाही आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अनुसंधान केन्द्र, रूड़की, पंतजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, हरिद्वार एवं हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, हरिद्वार शामिल हैं।