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हाईकोर्ट ने साम्प्रदायिक हिंसा के बाद मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर मध्य प्रदेश से मांगा जवाब

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने साम्प्रदायिक हिंसा के बाद खरगोन में तोड़े गए एक घर के लिए मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने साम्प्रदायिक हिंसा के बाद खरगोन में तोड़े गए एक घर के लिए मुआवजे की मांग करने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है। यह याचिका खरगोन निवासी जाहिद अली और एक टेंट हाउस कारोबारी ने दायर की है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख तक संपत्ति पर आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
याचिकाकर्ता अपनी संपत्ति का कानूनी मालिक
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि रामनवमी के जुलूस पर कुछ उपद्रवियों द्वारा पथराव किए जाने के बाद अप्रैल में उनके घर का एक हिस्सा गिरा दिया गया था। याचिकाकर्ता के वकील एमएम बोहरा ने कहा, याचिकाकर्ता अपनी संपत्ति का कानूनी मालिक है। प्रशासन ने बिना कोई नोटिस दिए और बिना कोई मौका दिए संपत्ति का एक हिस्सा ध्वस्त कर दिया है, जो न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
170 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था
राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील आकाश शर्मा ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। जस्टिम वर्मा ने उनकी इस मांग को स्वीकार किया। सांप्रदायिक झड़पों के बाद, 60 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं थी और 170 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। राज्य प्रशासन ने 50 से अधिक घरों, दुकानों और इमारतों को भी ध्वस्त कर दिया था।
15 दिनों के भीतर क्षतिग्रस्त संपत्तियों के खिलाफ वसूली करना था
इस कड़ी में, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत बने एक घर को भी अभियान के दौरान बुलडोजर से गिरा दिया गया था। राज्य प्रशासन ने ‘मध्य प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान अधिनियम-2021’ के तहत एक विध्वंस अभियान चलाया था। इस अभियान का लक्ष्य हिंसा, विरोध, रैली के दौरान व्यक्ति या समूहों द्वारा 15 दिनों के भीतर क्षतिग्रस्त संपत्तियों के खिलाफ वसूली करना था।

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