नैनीताल : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में बढ़ते भ्रष्टाचार एवं अपराध के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। याचिका के स्वीकार होने से यह तय है कि प्रदेश में जून-जुलाई में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर इसका फर्क पड़ सकता है। चुनाव कुछ समय के लिये टल सकते हैं।
दरअसल मामले को विकासनगर देहरादून निवासी एवं पूर्व मंडी अध्यक्ष विपुल जैन की ओर से चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के माध्यम से 13 जिला पंचायत अध्यक्ष और 96 ब्लाक प्रमुखों का चयन किया जाता है। क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं जिला पंचायत सदस्यों के माध्यम से क्रमश: ब्लॉक प्रमुख एवं जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव होता है। उन्होंने कहा ब्लॉक प्रमुख एवं जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों के लिये जोर आजमाइश होती है। धनबल का प्रयोग किया जाता है। राजनीतिक दलों की ओर से तय सीमाओं का उल्लंघन किया जाता है। यहां तक अपहरण एवं अन्य अपराधों को भी बढ़वा मिलता है।
इससे लोकतंत्र की भावना के साथ खिलवाड़ होता है। याचिकाकर्ता की ओर से उत्तर प्रदेश प्रधान संघ क्षेत्रीय समिति बनाम उप, सरकार एवं विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले का उद्धरण पेश करते हुए उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का हवाला दिया गया है। याचिकाकर्ता ने मांग की कि जिस प्रकार उच्चतम न्यायालय ने विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले में यौन शोषण जैसे मामलों में रोक लगाने के लिये विस्तृत दिशा निर्देश बनाने को कहा था, उसी प्रकार इस मामले में भी उच्च न्यायालय एक दिशा-निर्देश तैयार करे और सरकार को उसका अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी करे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि अदालत ने पूरे मामले को सुनने के बाद याचिका को स्वीकार कर लिया और केन्द्र, राज्य सरकार एवं निर्वाचन आयोग को चार सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने को कहा है।