हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती हुई नजर आ रही है। राज्य में हर 5 साल में सरकार बदलने का रिवाज़ रहा है, इस बार भी इतिहास दोहराता हुआ नज़र आ रहा है। भाजपा ने दावा जरूर किया था कि वह इस बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाकर हिमाचल में डबल इंजन की सरकार रिपीट करेगी। लेकिन अब भाजपा का यह दावा गलत साबित होता हुआ नज़र आ रहा है।
हिमाचल में प्रचार के लिए भाजपा ने कई दिग्गज नेताओं को उतारा था। जिसमे गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ साथ पीएम मोदी ने भी जमकर प्रचार किया था। इसके बाबजूद पहाड़ी राज्य में भाजपा के लिए नतीजे सही नहीं निकले।
इन मुद्दों ने भाजपा का खेल बिगाड़ा
हिमाचल में ऐसे कई ऐसे मुद्दे थे जिसे लेकर जनता में भाजपा के प्रति रोष देखा गया था। इन मुद्दों के कारण ही इस चुनाव में भाजपा पीछे पिछड़ती नजर आई। आइए आपको बताते हैं कि ऐसे कौन से मुद्दे थे जिन्होंने भाजपा की सरकार को रिपीट करने से रोक दिया।
- ओल्ड पेंशन स्कीम : हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग लगातार की जाती रही है। राज्य में करीब 4.5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं और रिटायर्ड कर्मचारी भी काफी बड़ी संख्या में हैं. पुरानी पेंशन योजना, इस योजना को एक अप्रैल 2004 से देश में बंद कर दिया गया था। इस योजना के तहत सरकार की तरफ से सरकार कर्मचारियों को पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा इस बार के चुनाव में भी बड़ा फैक्टर था। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में इसका भी जिक्र किया था।
- स्वर्ण समाज : हिमाचल में स्वर्ण समाज के गठन की मांग उठती रही है। इससे पहले भी इस मुद्दे को लेकर पहाड़ी राज्य में कई विरोध प्रदर्शन हुए। हालांकि, भाजपा ने इसे लेकर सोच विचार करने का आश्वासन दिया था।
- अग्निपथ योजना का लागू होना : हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है, यहां के युवाओं में सेना भर्ती को को लेकर काफी उत्साह देखने को मिलता है। इस साल केंद्र द्वारा जब अग्निपथ योजना को लागू किया गया, जिसके बाद इसे लेकर युवाओं में काफी रोष दिखा। युवाओं का मानना था कि पहाड़ी राज्य में सेना ही रोज़गार का सबसे अच्छा माध्यम है, सरकार सेना के नियमों में फेरबदल करके युवाओं कस भविष्य खराब कर रही है।
- रोजगार : पहाड़ी राज्य होने के नाते हिमाचल में ज्यादा रोजगार के माध्यम नहीं है। अधिकतर लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है। लोगों की मांग थी कि हिमाचल में ही युवाओं को सरकार द्वारा रोजगार मुहैया करवाना चाहिए।
कांग्रेस जिस तरीके से पुरे देश में अपनी सत्ता को नहीं बचा पा रही। इस बीच पहाड़ी राज्य ने उसे बहुमत देकर राहत की सांस दी है। इस चुनाव में भारत जोड़ो यात्रा का कोई असर देखने को नहीं मिलता, लेकिन कांग्रेस OPS, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर वोटरों को लुभाने में कामयाब रही।