लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

उत्तराखंड में बना इतिहास, रितु खंडूरी भूषण बनी विधानसभा की पहली महिला स्पीकर

उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद आज एक और इतिहास बन गया है। दरअसल राज्य में पहली बार किसी महिला को विधानसभा का अध्यक्ष घोषित किया गया है।

उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने के बाद आज एक और इतिहास बन गया है। दरअसल राज्य में पहली बार किसी महिला को विधानसभा का अध्यक्ष घोषित किया गया है। प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत ने रितु खंडूरी भूषण को उत्तराखंड में निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष घोषित किया। कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है। मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के राधाबल्लभ पुरम गांव के रहने वाले उनके पिता मेजर जनरल (रिटा.) भुवन चंद्र खंडूरी एक फौजी ऑफिसर थे। फौज से रिटायरमेंट होने के बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। वह वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बने।
केंद्र में स्वास्थ्य सचिव के पद पर तैनात हैं रितु के पति
रितु खंडूरी का जन्म नैनीताल में 29 जनवरी 1965 को एक फौजी परिवार में हुआ। रितु ने मेरठ के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन और दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया। रितु खंडूरी के पति राजेश भूषण बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। और वर्तमान में वे मोदी सरकार में केंद्र में स्वास्थ्य सचिव के पद पर तैनात हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी है रितु
बीजेपी नेता लंबे समय से समाज सेवा में भी ऐक्टिव रही हैं। कर्णप्रयाग-पोखरी मोटर मार्ग पर स्थित खाल गांव में रितु की ससुराल का पुश्तैनी मकान भी है। 56 वर्षीय रितु ने 1986 में मेरठ यूनिवर्सिटी के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से बीए ऑनर्स की डिग्री ली थी। सेना से रिटायर होकर सियासत में आए उनके पिता बीसी खंडूरी 2007 से 2009 और फिर 2011 से 2012 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। वह सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे।
कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर लिया पिता की हार का बदला
वर्ष 2012 के चुनाव में ‘खंडूरी है जरूरी’ के नारे के बावजूद वह कोटद्वार सीट से सुरेंद्र सिंह नेगी के खिलाफ हार गए थे। यहां से उनका राजनीतिक सफर लगभग समाप्त हुआ। उनकी विरासत संभालते हुए रितु ने राजनीति में कदम रखा और 2017 में पहली बार चुनाव लड़ा।  यमकेश्वर से जीत हासिल करने के बाद वह 2022 में कोटद्वार सीट से नेगी के ही खिलाफ चुनाव मैदान में उतरीं और उन्होंने अपने पिता की हार का बदला ले लिया। रितु के भाई मनीष खंडूरी कांग्रेस में हैं। गढ़वाल सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके मनीष जीत नहीं पाए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।