देहरादून : आईएएस के स्टिंग और ब्लैकमेलिंग मामले में फंसे निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा की जमानत सशर्त मंजूर हो गई है। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुये 30-30 हजार के निजी मुचलके पर सेशन न्यायालय के एडीजे प्रथम राजीव कुमार खुल्फे की कोर्ट ने जमानत पर हामी भरी।
स्टिंग ऑपरेशन और ब्लैकमेलिंग मामले में फंसे निजी चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा की जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई करीब 50 मिनट तल चली। दोनों पक्षों के वकीलों में अपनी दलीलें एडीजे फर्स्ट कोर्ट राजीव कुमार समक्ष रखी। सबसे पहले बचाव पक्ष ने आरोपी के खिलाफ दर्ज मुकदमे में लगी धाराओं सहित आरोप पढ़कर कोर्ट को सुनाया, जिसमें उन्होंने केस दर्ज करने से लेकर गिरफ्तारी तक पुलिस के तरीके को गलत बताया।
बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में कहा कि आरोपी के खिलाफ 382 और 386 जैसे धाराओं में मामला दर्ज किया है, जिसका पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। हाई कोर्ट ने भी जनहित के लिए स्टिंग ऑपरेशन करना सही ठहराया है। तो स्टिंग करने में गलत क्या है. उमेश का वकील का कहना था कि इस मामले तो स्टिंग हुआ ही नहीं है।
वकील ने उमेश पर लगी धाराओं को बताया गलत
वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक केस में लगी धारा 383 का हवाला देते हुए कहा कि, वहां भी ये धारा गलत पायी गई थी. लिहाज इस धारा को कैसे मान लिया जाए. बचाव पक्ष वकील ने कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता आयुष गौड़ को धमकी देने की बात गाजियाबाद में हुई थी तो इस मामले देहरादून में केस कैसे दर्ज हो सकता है।
बचाव पक्ष के वकील के कहा कि उमेश शर्मा ने अपने कर्मचारी आयुष गौड़ को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव का स्टिंग करने को कहा जो हुआ ही नहीं, तो ऐसे में केस सम्बंधित लगाई गई धाराएं बनती ही नहीं हैं। बचाव पक्ष वकील ने अंत मे कोर्ट के समक्ष दलील दी कि शर्मा पर लगाए गए आरोप अभीतक की पुलिस जांच में कहीं सामने आए ही नहीं हैं, ऐसे में उन्हें ज़मानत दी जाए।