मुम्बई : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने भारत को अगले पांच वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करने में आईआईटी की महत्वपूर्ण भूमिका शनिवार को रेखांकित की। पोखरियाल ने यहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बम्बई (आईआईटी बम्बई) के 57वें दीक्षांत समारोह में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2024 तक शिक्षा में वैश्विक गुरु के तौर पर स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस लक्ष्य को साकार करने में आईआईटी को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।’’
उन्होंने कहा कि संस्कृति को शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए ताकि व्यक्ति में विकास के लिए स्थायी और दृढ़ आधार हो।उन्होंने आईआईटी बम्बई को ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग’ में 200 शीर्ष विश्वविद्यालय में स्थान बनाने के लिए बधाई दी और इससे अधिक ऊंचा लक्ष्य रखने का आह्वान किया। पोखरियाल ने कहा, ‘‘आईआईटी बम्बई जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने जैसे विकास लक्ष्यों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।’’
उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘स्टैंडअप इंडिया’ जैसे कार्यक्रम परिवर्तनकारी योजनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब विश्व का सबसे पसंदीदा निवेश स्थल बन गया है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के लिए सरकार द्वारा लागू किये जाने वाले विभिन्न पहलों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि छोटी चीजें बड़ा अंतर ला सकती हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगायें और जल संरक्षण करें। मंत्री ने इस मौके पर छात्रावास नम्बर 18 का उद्घाटन किया और आईआईटी बम्बई परिसर में एक पौधा लगाया। इससे पहले पोखरियाल ने सभी आईआईअी के छात्रों के साथ नेशनल नॉलेज नेटवर्क के जरिये ‘नवभारत का निर्माण आईआईटी के साथ’ विषय पर एक सीधे संवाद किया।
उन्होंने गणित, औषधि और परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में प्राचीन भारत के योगदानों को याद करते हुए कहा, ‘‘भारत की ज्ञान एवं विज्ञान के क्षेत्र में विश्व को एक नेतृत्व प्रदान करने की एक विरासत रही है। आईआईअी छात्रों को यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि भारत यह नेतृत्व की भूमिका निभाना जारी रखे।’’ इस मौके पर इंफोसिस टेक्नोलॉजीस लिमिटेड के संस्थापक एवं अध्यक्ष तथा यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणि को एक उद्योगपति के तौर पर उल्लेखनीय योगदान एवं प्रौद्योगिकी के जरिये सामाजिक विकास का समर्थक होने के लिए डॉक्टर आफ साइंस की (मानद्) डिग्री प्रदान की गई। नीलेकणि ने इस मौके पर इंफोसिस निर्माण और बाद में आधार परियोजना एवं अन्य के बारे में अपने अनुभव साझा किये।