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एनडीए सरकार के 13 वर्षों में बिहार बदहाली से बाहर निकला : राजीव रंजन

आज केंद्र द्वारा दी जा रही निरंतर सहायता और राज्य द्वारा किए जा रहे इसके कुशल प्रबंधन का असर बिहार के विकास पर साफ़ देखा जा सकता है.

पटना : केंद्र और राज्य के डबल इंजन से बिहार के विकास को गति मिलने की बात कहते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने एनडीए के पिछले 13 वर्षों के शासनकाल में बिहार में हुए विकास कार्यों की चर्चा की. उन्होंने कहा “ यह किसी से छिपा नही है कि आजादी के बाद सत्ता में काबिज राजनीतिक दलों की लगातार उपेक्षा से बिहार किस तरह बदहाल स्थिति में पंहुच गया था. स्थिति यह थी कि राज्य से बाहर रहने वाले बिहारी अपनी पहचान छिपाने को मजबूर थे,वहीं राज्य में रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नही थी. लेकिन 2005 के बाद स्थितियों में क्रांतिकारी बदलाव आया जिसका साक्षी पूरा देश है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबल नेतृत्व में राज्य का विकास धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा, जिसमे 2014 के बाद और तेजी आ गयी और आज स्थिति यह है कि राज्य और केंद्र के डबल इंजन से बिहार विकास के सभी मानकों पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. आंकड़ो को देखें तो वर्तमान सरकार ने चार सालों के अपने कार्यकाल में बिहार के विकास को जितनी प्राथमिकता दी है, उतनी किसी सरकार ने नही दी थी.

याद करें तो  कांग्रेस के 10 वर्ष के शासनकाल में 13वें वित्त आयोग के तहत बिहार को केवल 1 लाख 93 हजार करोड़ रुपये दिए गए जबकि 14वें वित्त आयोग में मोदी सरकार द्वारा राज्य को 4 लाख 33 हजार 803 करोड़ रुपये अर्थात ढाई गुना ज्यादा आवंटित किये गए हैं. बिहार के मुद्रा बैंक लाभार्थियों को 37 हजार करोड़ रूपये, स्वच्छ भारत मिशन के तहत 181 करोड़ रूपये, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1,1056 करोड़ रूपये, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 45 करोड़ रूपये, नीली क्रांति के तहत 24 करोड़ रूपये, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 260 करोड़ रूपये, अमृत मिशन के लिए 1,165 करोड़ रूपये, हृदय योजना के लिए 40 करोड़ रूपये, स्वच्छ गंगा मिशन के लिए 270 करोड़ रूपये, साइल हेल्थ कार्ड के लिए 15 करोड़ रूपये,

राहत कोष के लिए 700 करोड़ रूपये, शहरी परिवहन विकास के लिए 67 करोड़ रूपये, पर्यटन विकास के लिए 98 करोड़ रूपये, आईओसीएल रिफायनरी के उन्नयन के लिए 550 करोड़ रूपये, राजमार्गों के विकास के लिए 3,000 करोड़ रूपये और अन्य राजमार्गों के विकास के लिए 2,700 करोड़ रूपये, स्मार्ट सिटी भागलपुर के लिए 189 करोड़ रूपये दिए गए हैं. इसके अलावा अभी हाल ही में शुरू हुए आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रथम चरण में चुने गए 10 करोड़ लोगों में 1.08 करोड़ बिहार के हैं.  आज केंद्र द्वारा दी जा रही निरंतर सहायता और राज्य द्वारा किए जा रहे इसके कुशल प्रबंधन का असर बिहार के विकास पर साफ़ देखा जा सकता है.

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