एल्गार परिषद और माओवादियों के बीच कथित जुड़ाव के मामले में आरोपियों के परिजनों और दोस्तों ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उन्हें जेल से रिहा किए जाने की मांग की है। आरोपियों के परिजनों का कहना है कि संक्रमण से पीड़ितों के इलाज के लिए जेलों में पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
ये सभी आरोपी मुंबई और आसपास की जेलों में बंद हैं। मामले में हनी बाबू, स्टेन स्वामी और सुधा भारद्वाज समेत 16 आरोपियों के परिजनों और दोस्तों ने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह मांग रखी। मामले में आरोपी पुरूषों को नवी मुंबई की तलोजा जेल में रखा गया है जबकि आरोपी महिलाएं मध्य मुंबई की भायखला जेल में हैं।
आरोपियों के परिजनों ने कहा कि तलोजा और भायखला जेलों में महामारी की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा नहीं है, इसलिए उन सबको जमानत दे देनी चाहिए। हनी बाबू की पत्नी जैनी रोबेना ने कहा कि जेलों में स्थिति बहुत खतरनाक है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई योजना नहीं है। जेल के कर्मचारी भी संक्रमित हो रहे हैं। जेल के अस्पतालों में ना तो डॉक्टर हैं ना ही मरीजों की देखभाल करने वाला कोई प्रशिक्षित कर्मचारी।’’
स्वामी के दोस्त फादर जो जेवियर ने कहा कि कोविड-19 संबंधी जांच के लिए स्वामी के नमूने अक्टूबर में लिए गए थे। जेवियर ने आरोप लगाया कि स्वामी को अब भी बुखार और खांसी की समस्या है। जेवियर ने कहा कि स्वामी से फोन पर अंतिम बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वह बहुत ‘‘कमजोर’’ हो गए हैं और बेबस महसूस कर रहे हैं।
वहीं, सुधा भारद्वाज की बेटी ने कहा कि उनकी मां को पहले से कई रोग है। ऐसे में संक्रमित होने की स्थिति में उनका खतरा और बढ़ जाएगा। इन आरोपियों के परिवार के सदस्यों ने बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र भेजकर महामारी के मद्देनजर उन्हें रिहा किए जाने का अनुरोध किया था।
एल्गार परिषद का मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे शहर में आयोजित एक सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि इन भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।