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केदारनाथ हादसे में लापता लोगों की तलाश के लिये उठाए गए कदमों की अदालत ने मांगी जानकारी

स्वीकार की और सरकार को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दायर कर बताए कि उसने बाढ़ के बाद लापता हुए लोगों का पता लगाने के लिये क्या कदम उठाए। 

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से 2013 के केदारनाथ हादसे में लापता हुए लोगों की तलाश के लिये उठाए गए कदमों के बारे में एक महीने के अंदर जवाब मांगा है। एक जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक ने सरकार को निर्देश दिया कि वह भीषण बाढ़ और भूस्खलन के बाद लापता हुए लोगों का पता लगाने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में चार हफ्ते के अंदर जवाब दायर करें।

अदालत ने जनहित याचिका बुधवार को अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार की और सरकार को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दायर कर बताए कि उसने बाढ़ के बाद लापता हुए लोगों का पता लगाने के लिये क्या कदम उठाए।

दिल्ली निवासी अजय गौतम द्वारा दायर जनहित याचिका में आपदा में लापता हुए ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए विशेष समिति के गठन की मांग की गई थी जिनका हादसे के छह साल बाद भी कोई सुराग नहीं है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि 2013 के केदारनाथ हादसे में 4200 लोग लापता हो गए थे जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 3,322 लोगों के बारे में हादसे के बाद जानकारी नहीं मिल पाई थी। अब तक महज 600 कंकाल ही बरामद हुए हैं।

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