इसरो जासूसी कांड में केरल की स्थानीय कोर्ट ने पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है। कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई को करेगी। सीबीआई ने इस मामले में मैथ्यूज और 17 अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
इसरो जासूसी कांड, 1994 में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को गिरफ्तार किया गया था। इसी सिलसिले में इन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, अपहरण, साक्ष्यों में छेड़छाड़ के आरोपों में भारतीय दंड संहिता की धाराओं में मामला दर्ज किया है।
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को जब सूचित किया गया कि मामले में दो अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं केरल हाई कोर्ट में लंबित हैं और आज इस मामले पर सुनवाई हो सकती है तो प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी. कृष्णकुमार ने मामले पर सुनवाई अगले हफ्ते तक टाल दी।
कोर्ट ने कहा, ‘‘यदि इसी तरह के मामले हाई कोर्ट में लंबित हैं तो वहां जो भी होता है उसका इंतजार कर लेते हैं।’’ मैथ्यूज की अग्रिम जमानत याचिका के अलावा नारायणन की मामले में पक्षकार बनाने की याचिका भी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध है। सुनवाई आरंभ होने पर मैथ्यूज के वकील ने नारायण के आवेदन का विरोध किया।
वहीं नारायणन के वकील ने मैथ्यूज को किसी भी तरह की राहत देने का विरोध किया। अग्रिम जमानत याचिका में मैथ्यूज ने दावा किया कि आसूचना ब्यूरो (इंटेलिजेंस ब्यूरो या आईबी) ने जासूसी मामले में नारायणन को गिरफ्तार करने का केरल के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाया था।
उन्होंने कहा कि मालदीव की नागरिक मरियम रशीदा के खिलाफ विदेशी विषयक अधिनियम और सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मामला भी आईबी और रॉ (रिसर्च एवं एनालिसिस विंग) से प्राप्त सूचना के आधार पर दर्ज किया गया जिनमें कहा गया था उनका ‘‘इसरो के कुछ वैज्ञानिकों के साथ अनपेक्षित संबंध हैं और उनकी गतिविधियां भारत की सुरक्षा एवं हितों के लिए हानिकारक हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि राशिदा को आईबी के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी मैथ्यूज के निर्देशों पर गिरफ्तार किया गया जो जासूसी कांड की जांच करने वाले विशेष जांच दल के प्रमुख थे। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को आदेश दिया था कि नारायणन से जुड़े जासूसी मामले में आरोपी पुलिस अधिकारियों की भूमिका के बारे में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपी जाए। कोर्ट ने एजेंसी को इस मामले की आगे की जांच करने का निर्देश दिया था। इस मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने नारायणन को बरी कर दिया था।