मुंबई हाई कोर्ट ने बच्चों के स्कूली बस्ते के वजन को कम करने के निर्देश देने की मांग करने वाले वाली याचिका सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि उसे नहीं लगता कि बच्चे अपने कंधों पर ‘‘अनावश्यक भारी बस्ते’’ ले जाते हैं क्योंकि वक्त के साथ किताबें पतली हो गयी हैं।
कोर्ट ने कहा कि स्कूली बस्तों का भार की मात्रा निश्चित करने के लिए नए दिशा निर्देश देने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने कहा, ‘‘हमारे जमाने में, हमारी किताबें प्राय: वजनी होती थीं। आजकल किताबें पतली हो गई हैं।’’
मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति एनएम जामदार ने कहा, ‘‘हमारी किताबों में दिखाया जाता था कि केवल औरतें ही घर का काम करती हैं, आज की किताबें दिखाती हैं कि पुरूष फर्श पर झाड़ू लगा रहे हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हमारी किताबें बहुत वजनी होती थीं लेकिन हमें पीठ की कोई समस्या नहीं हुई।’’