पुरी के प्रतीकात्मक राजा गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब ने ‘रथयात्रा’ से पहले शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन के रथों की साफ-सफाई की ‘पहरा’ रस्म अदा की। यह इस बात का प्रतीक है कि ईश्वर के सामने सभी बराबर हैं।
यह रस्म नौ दिवसीय उत्सव ‘रथयात्रा’ के समय श्रद्धालुओं द्वारा रथों को खींचे जाने से पहले की गई। कोविड-19 महामारी के कारण दो साल बाद यह रस्म अदा की गई।
परंपरा के अनुसार राजा को चांदी की एक पालकी में श्री जगन्नाथ मंदिर ले जाया गया। वहां उन्होंने रथों पर आसीन किये गये देवी-देवताओं की पूजा की और फिर सोने की झाड़ू से रथों की साफ-सफाई की।
जगन्नाथ संप्रदाय के शोधकर्ता रविनारायण मिश्रा ने कहा, ‘‘इस रस्म का स्पष्ट संदेश है कि भगवान के सामने सभी बराबर हैं।’’
असित मोहंती नामक एक अन्य शोधकर्ता ने कहा कि सदियों से यह रस्म समाज को यह संदेश देने के लिए अदा की जाती है कि जाति, पंथ या किसी अन्य सामाजिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ट्वीट किया, ‘‘ महाप्रभु की सेवा करने का मौका मिलना बड़े सौभाग्य की बात है । भगवान के प्रमुख सेवादार गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब द्वारा छेरा पहरा की रस्म अदा करने का दृश्य सचमुच में प्रेरणादायी है।’’