किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को घेरने में लगा हुआ है। केंद्र के खिलाफ किसानों के आंदोलन को आज 20वां दिन हैं। इस बीच झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि देश का पेट पालने वाले अन्नदाता को केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियो के कारण अपनी फसल का समर्थन मूल्य पाने के लिए सड़कों पर संघर्ष करना पड़ रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने राज्य में बीजेपी के प्रमंडल स्तरीय किसान सम्मेलन एवं चौपाल पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब मंडियां खत्म हो जाएंगी तो उनको न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी कौन देगा। बीजेपी नेताओं को यह समझना पड़ेगा कि किसानों को लच्छेदार भाषण नहीं जनहितैषी शासन और देशवासियों को सस्ता राशन चाहिए। समूचा देश बीजेपी से तंग आ चुका है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के साल 2019 के घोषणा पत्र को लेकर बीजेपी को भ्रम फैलाना बंद करना चाहिए। उसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि बड़े गांव और छोटे कस्बों में किसान भाइयों के लिए कृषक बाजार बनाये जाएंगे, कृषि उत्पाद की कीमतों को निर्धारित करने के लिए वर्तमान कृषि आयोग के स्थान पर नेशनल कमीशन ऑन एग्रीकल्चर डेवलपमेंट एंड प्लानिंग की स्थापना की जाएगी जिसमें किसानों को शामिल किया जाएगा तथा इसकी सिफारिशों को लागू करना बाध्यकारी होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में इस बात का उल्लेख किया था कि सीमांत कृषकों एवं कृषि मजदूरों के लिए एक आयोग की स्थापना की जाएगी जो इनकी आय वृद्धि को लेकर नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में सुझाव देगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कांग्रेस पार्टी ने न्याय योजना लागू करने का आश्वासन दिया था जिसके तहत गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष 72000 रुपये देने का प्रावधान होता जिसके लागू होने से सबसे ज्यादा लाभ लघु एवं सीमांत कृषक परिवारों को मिलता।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ही वो पार्टी है जिसने कृषकों की पीड़ा को समझ कर उनकी हर प्रकार से सहायता की पहल की है। किसानों को बीजेपी के समान कभी भी पूंजीपतियों के दया के भरोसे नहीं छोड़ते है। मोदी सरकार की भेदभावपूर्ण एवं पक्षपातपूर्ण नीतियों के कारण कृषि क्षेत्र को लगातार नुकसान हो रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में 67,626 किसानों ने 2014 से 2019 तक आत्महत्या की है। मोदी राज में डीजल पर उत्पादन कर 894 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जो किसान वर्ष 2014 में प्रति लीटर मात्र 3.56 रुपये टैक्स देते थे उन्हें अब प्रति लीटर 31.83 रुपये टैक्स देना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि का ढिंढोरा पीटने वाली बीजेपी के द्वारा बटाई आधार पर कृषि कार्य करनेवालों कृषि मजदूरों को इसमें शामिल नहीं किया जाना दुर्भाज्ञपूर्ण है जबकि ग्रामीण भारत का सबसे पीड़ित वर्ग यही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर किसानों के साथ विश्वासघात किया गया। उन्होंने कहा कि बीजेपी के किसान सम्मेलन और किसान चौपाल के आयोजन से कोई लाभ नहीं होने वाला है और केंद्र की मोदी सरकार अविलंब तीन काले कानूनों को वापस ले।