झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस भेजा है। दरअसल वर्ष 2021 में राज्य की सरकार ने राजधानी रांची के पास एक सरकारी जमीन से पत्थरों के उत्खनन के सैद्धांतिक रूप से मुख्यमंत्री को खुद ही एक खनन पट्टा दे दिया था। बता दें कि, यह अनुमति खनन और पर्यावरण मंत्रालयों से मिली थी जिसे मुख्यमंत्री ही संभाल रहे थे। इस मामले को भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फरवरी माह में उठाया था, तथा राज्यपाल रमेश बैस से भी शिकायत की थी। भाजपा द्वारा की गई शिकायत के बाद राज्यपाल ने इसे चुनाव आयोग भेज दिया और दिल्ली आकर इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत की थी।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से की थी मुलाकात
बता दें कि, इसके बाद चुनाव आयोग ने शिकायत को संज्ञान में लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले की जानकारी देने के लिए एक नोटिस भेजा और मुख्य सचिव से जानकारी मिलने के बाद इसे आयोग ने अब मुख्यमंत्री सोरने को नोटिस भेजा है। भेजे गए नोटिस में चुनाव आयोग ने पूछा है कि, आखिर क्यों उन के खिलाफ जन प्रतिनिधि द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में कदम न उठाया जाए। इस मामले में विपक्ष ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि, खनन पट्टा दे कर मुख्यमंत्री ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन किया है। विपक्ष का कहना है कि, अधिनियम के सेक्शन 9(ए) और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(ई) के तहत सोरेन को अयोग्य घोषित कर देना चाहिए।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से की थी मुलाकात
बता दें कि, इसके बाद चुनाव आयोग ने शिकायत को संज्ञान में लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव को इस मामले की जानकारी देने के लिए एक नोटिस भेजा और मुख्य सचिव से जानकारी मिलने के बाद इसे आयोग ने अब मुख्यमंत्री सोरने को नोटिस भेजा है। भेजे गए नोटिस में चुनाव आयोग ने पूछा है कि, आखिर क्यों उन के खिलाफ जन प्रतिनिधि द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में कदम न उठाया जाए। इस मामले में विपक्ष ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि, खनन पट्टा दे कर मुख्यमंत्री ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन किया है। विपक्ष का कहना है कि, अधिनियम के सेक्शन 9(ए) और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(ई) के तहत सोरेन को अयोग्य घोषित कर देना चाहिए।
मुख्यमंत्री के नाम पर पट्टे का आवंटन एक प्रशासनिक भूल थी : झारखंड मुक्ति मोर्चा
खनन पट्टा मामले में विपक्ष के आरोपों के बाद से उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सीएम सोरेन का बचाव करते हुए कहा है कि, मुख्यमंत्री के नाम पर पट्टे का आवंटन एक प्रशासनिक भूल थी जिसे बाद में रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा, इसे रद्द करने के समय तक पट्टे पर कोई भी काम शुरू नहीं किया गया था। इसलिए अब इस कानून के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। हालंकि इस मामले में अभी तक मुख्यमंत्री की ओर से नोटिस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। इसके अलावा विपक्ष ने सीएम पर अपने कुछ करीबी सलाहकारों को सरकारी ठेके देने का आरोप भी लगाया है।
खनन पट्टा मामले में विपक्ष के आरोपों के बाद से उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सीएम सोरेन का बचाव करते हुए कहा है कि, मुख्यमंत्री के नाम पर पट्टे का आवंटन एक प्रशासनिक भूल थी जिसे बाद में रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा, इसे रद्द करने के समय तक पट्टे पर कोई भी काम शुरू नहीं किया गया था। इसलिए अब इस कानून के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। हालंकि इस मामले में अभी तक मुख्यमंत्री की ओर से नोटिस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। इसके अलावा विपक्ष ने सीएम पर अपने कुछ करीबी सलाहकारों को सरकारी ठेके देने का आरोप भी लगाया है।