झारखंड के हजारीबाग में 19 दिसंबर 2019 में 13 साल की नाबालिग बच्ची को जबरन एसिड पिलाए जाने का मामला सामने आया था। पिछले साल से अब तक इस मामले में किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई। शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने अब तक हुई जांच को लेकर नाराजगी जताई।
मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने शुक्रवार को मामले में हजारीबाग पुलिस की धीमी जांच प्रक्रिया के साथ ही दोषियों पर अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर कड़ नाराजगी जताई है। इस मामले की अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 19 दिसंबर को हजारीबाग के एक स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 13 साल की छात्रा को स्कूल से घर लौटने के क्रम में कुछ लोगों ने जबरन एसिड पिला दिया था। एसिड पिलाने के कारण वह दो माह तक कुछ बोल नहीं पा रही थी।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (पटना) और राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रांची) में करीब दो महीने के इलाज के बाद जब बच्ची के बयान पर जिले के इचक पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था। यह प्राथमिकी भारतीय दंड विधान की विभिन्न धारा और बच्चों को लैंगिक अपराध से संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज की गयी थी।
अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज के द्वारा हजारीबाग में हुई इस घटना के बाद हाई कोर्ट को पत्र के माध्यम से सूचना दी गयी थी, जिस पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई शुरू की थी।