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झारखंड : भाजपा में कई के ‘पर’ कतरे जाएंगे, कुछ को मिलेगी नई जिम्मेदारी

झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद अब पार्टी हार के मंथन में जुटी है। कहा जा रहा है कि पार्टी ऐसे जिला अध्यक्षों पर कार्रवाई करने के मूड में है।

झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिली करारी हार के बाद अब पार्टी हार के मंथन में जुटी है। कहा जा रहा है कि पार्टी ऐसे जिला अध्यक्षों पर कार्रवाई करने के मूड में है, जहां भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली है या स्थिति अच्छी नहीं रही। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता इसे पार्टी को मजबूत करने की कार्रवाई बता रहे हैं। प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया है कि लगभग आधे से अधिक जिलाध्यक्ष हटाए जाने वाले हैं। 
उन्होंने कहा कि खराब परफॉर्मेस वाले अध्यक्षों की सूची बन रही है। इस बार कोल्हान में पार्टी को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है। यहां के अधिकतर अध्यक्षों का जाना तय माना जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस जिले के अध्यक्ष को हटाया जाएगा, वहां इस बार नए अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं, बल्कि मनोनयन होगा। सबसे पहले प्रदेश अध्यक्ष को मनोनीत किया जाएगा। इसके बाद नए जिलाध्यक्षों का मनोनयन किया जाएगा। 
सूत्रों का दावा है कि पार्टी इस बार जमीनी स्तर से बदलाव करने के मूड में है। भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भी कहते हैं कि राज्य के वरिष्ठ नेताओं और केंद्र के नेताओं में बराबर मंथन का दौर चल रहा है और सभी स्तर पर हार के कारणों पर फीडबैक लिया जा रहा है। उन्होंने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया। 
उन्होंने जिलाध्यक्ष पर कार्रवाई के संबंध में सीधे तो कुछ नहीं कहा, मगर इतना जरूर कहा कि भविष्य में भाजपा एक दमदार और मजबूत विपक्ष के रूप में उभरेगा और सत्तापक्ष को किसी भी गलत कार्य की खुली छूट नहीं देगा। हार की जिम्मेवारी लेते हुए प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा पहले ही त्यागपत्र दे चुके हैं। हालांकि, अब तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। 
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नजर ऐसे सांसदों पर भी है जिसके क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में पार्टी को आशातीत सफलता नहीं मिली है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रभारी रहे ओमप्रकाश माथुर ने राष्ट्रीय नेतृत्व को विधानसभा चुनाव के बारे में एक रिपोर्ट सौंपी है। सूत्रों का दावा है कि इस रिपोर्ट में सांसदों की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है। 
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने संसदीय चुनाव की तरह जिस प्रकार विधायकों को मैदान में उतारा था उसी प्रकार इस विधानसभा चुनाव में भी सांसदों को चुनावी मैदान में झोंका था और उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई थी, मगर पार्टी को संसदीय चुनाव की तरह सफलता नहीं मिली है। कई संसदीय क्षेत्रों में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। 
गौरतलब है कि झारखंड में अभी तक भाजपा विधायक दल का नेता और प्रदेश अध्यक्ष के नाम नहीं तय कर सकी है। सूत्रों का कहना है कि झाविमो की भाजपा में विलय होने की तैयारी है, ऐसे में पार्टी इन दो में से किसी एक पद पर आदिवासी तो दूसरे पद पर सामान्य जाति से आने वाले नेता को बैठाना चाहती है। ऐसे में माना जा रहा है कि खरमास के बाद भाजपा में कई के पर कतरें जाएंगे तो कई को नई जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। 

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