उत्तराखंड के पहाड़ों में बसा जोशीमठ इस वक़्त अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। इस पुरे शहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। यहां जमीन धसने के कारण प्रभावित हुए जोशीमठ के डेंजर जोन को खाली कराने का अभियान भी शुरू हो गया है। एसडीआरएफ की टीम मौके पर जुटी हुई है और लगातार लोगों को सचेत कर रही है। इस बीच खतरे वाले भवनों के मालिकों को घर खाली करने का तीन दिन का नोटिस दिया गया है।
500 घरों को खाली करवाया जा रहा है
भूधंसाव से प्रभावित घरों को खली कराने के लिए एसडीआरएफ की 60 जवानों की टीम का गठन किया गया है। इलाके में डेंजर जोन वाले 500 घरों को खाली करवाया जा रहा है। हालांकि इस बीच कई ऐसे लोग हैं जो अपने घरों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। इन लोगों ने प्रशासन की चुनौती बढ़ा दी है। जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि तीन दिन में जो लोग घर खली नहीं करेंगे उन्हें जबरन हटाया जाएगा। प्रशासन अब तक 29 परिवारों को पुनर्वासित कर चुका है।
शहर में कई ऐसे लोग हैं जो अपना घर छोड़ने के लिए राजी नहीं हैं। ऐसे में जिला प्रशासन भी लाचार नजर आ रहा है। हालांकि प्रशासन ने ये आश्वासन दिया है कि सभी लोगों को पुनर्वासित किया जाएगा।
52 परिवारों को राहत कैंप में शिफ्ट किया गया
बीते रविवार को प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने जोशीमठ के मारवाड़ी वार्ड में लोगों से अपील की कि वह असुरक्षित घरों में ना रहें और सुरक्षित स्थानों पर जाएं। दो और परिवारों को गुरुद्वारा जोशीमठ व आठ परिवारों को होटल द्रोणगिरी में शिफ्ट किया गया। बीते शनिवार तक 42 परिवारों को राहत कैंप में भेजा गया था। अब तक कुल 52 परिवारों को राहत कैंप में शिफ्ट किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से आपदा प्रभावित 46 परिवारों को पांच-पांच हजार रुपये प्रति परिवार की दर से घरेलू सामान व राशन के लिए दो लाख 30 हजार रुपये के चेक वितरित किए गए।