उत्तराखंड का जोशीमठ इस समय सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है। यहां स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। जोशीमठ में जगह-जगह मकानों में दरारें आ रही है। इसके अलावा जमीन भी धंस रही है। इलाके में सड़कें फट रही हैं, जमीन के नीचे से पानी घरों को फोड़कर बाहर निकल रहा है। हर वक़्त लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं। लोग अपने घरों को बचाने के लिए सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पुरे शहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन भी इस मामले में लाचार नजर आ रहा है। ये मामला अब अदालत तक पहुंच गया है। इस बीच ज्योतिर्मठ प्रशासन का भी बयान सामने आया है। प्रशासन ने जोशीमठ हो रहे विकास को विनाश का कारण बताया है। उन्होंने कहा कि पनबिजली परियोजनाओं, सुरंगों ने हमारे शहर को काफी प्रभावित किया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने क्या कहा ?
जानकारी के मुताबिक जोशीमठ में लैंडस्लाइड इतनी बढ़ गई है कि इसकी चपेट में ज्योतिर्मठ परिसर भी आ गया है। ज्योतिर्मठ में लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास दरारें आ गई हैं। मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि मठ के प्रवेश द्वार और लक्ष्मी नारायण मंदिर भी लैंडस्लाइड की चपेट में आ गए हैं। इसके कारण दरारे भी आ गई हैं।
जोशीमठ में बढ़ते खतरे के बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। ये अदालत पर निर्भर करता है कि वे इस संबंध कितनी जल्दी निर्देश देती है। जोशीमठ में 500 से अधिक घरों में दरारे आने के कारण लोग डरे हुए हैं। इस मामले में लोगों की सुरक्षा का आश्वासन दिया जाना चाहिए।
सीएम धामी ने किया इलाके का निरीक्षण
बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिन इलाके का दौरा किया था। धामी ने इस बीच लोगों से मुलाकात की। उन्होंने भूस्खलन प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया। धामी ने 600 से अधिक ऐसे लोगों को रेस्क्यू करने के आदेश दिए थे जिनके घर पर भूस्खलन के कारण दरारे आ गई थी। मुख्यमंत्री ने लोगों को हर संभव सहायता मुहैया कराने का आश्वासन दिया।
गौरतलब है कि जोशीमठ को मुख्य द्वार के तौर पर जाना जाता है। तीर्थ यात्री बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा यहीं से शुरू करते हैं। ऐसा माना जाता है कि सदियों पहले आदि गुरु शंकराचार्य ने यहां तपस्या की थी।