यौन उत्पीड़न मामले में विवादित फैसला देने वालीं बॉम्बे हाई कोर्ट की जज जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला के नाम की सिफारिश बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नहीं करने का फैसला किया है।
वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट की अतिरिक्त जज गनेडीवाला को कॉलेजियम के इस फैसले के बाद वापस जिला न्यायपालिका में भेज दिया जाएगा। हाईकोर्ट में नियुक्तियों का निर्णय लेने वाले कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बदला था जस्टिस गनेडीवाला का फैसला
जस्टिस गनेडीवाला ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में फैसला सुनाया था कि, यदि आरोपी और पीड़ित के बीच “कोई सीधा शारीरिक संपर्क, यानी स्कीन टू स्कीन टच” नहीं हुआ है तो POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। न्यायमूर्ति गनेडीवाला के इस फैसले को पलटते हुए 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के लिए स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट जरूरी नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना बच्चों के नाजुक अंगों को छूना पॉस्को कानून के तहत यौन शोषण होगा। यौन उद्देश्य से बच्चे के यौन अंगों को छूना पोक्सों के तहत अपराध है। पॉक्सो का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है। ऐसी संकीर्ण व्याख्या हानिकारक होगी।