कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार ने महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय में कानूनी लड़ाई के लिए सभी तैयारी कर ली है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार ने अदालती मामले को लेकर कानूनी टीम से समन्वय करने के लिए मंत्री चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई को नियुक्त किया है।
मामला सुनवाई योग्य है या नहीं ?
बोम्मई ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि सीमा विवाद को लेकर मामले को शीर्ष अदालत में लड़ने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं की एक टीम बनाई है। बोम्मई के अनुसार, टीम में पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, श्याम दीवान, कर्नाटक के पूर्व महाधिवक्ता उदय होला और मारुति जिराले हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा, “ (उच्चतम न्यायालय में) मामला कैसे लड़ा जाए, इस पर टीम ने पूरी तैयारी कर ली है। कल मैं इन वकीलों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बातचीत करूंगा।” बोम्मई ने दावा किया कि मामला सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर अबतक फैसला नहीं हुआ है, मुख्य याचिका की तो बात ही छोड़िए।
महाराष्ट्र का बेलगाम
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया था। उन्होंने कहा कि राज्यों के पुनर्गठन के बाद, देश में किसी भी पुनर्विचार याचिका पर गौर करने का कोई उदाहरण नहीं है। बोम्मई ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की राजनीति केवल सीमा विवाद पर निर्भर है। वर्ष 1960 में अपने गठन के बाद से ही महाराष्ट्र का बेलगाम (या बेलगावी) जिले और 80 फीसदी मराठी भाषी गांवों को लेकर कर्नाटक से विवाद है। ये इलाके कर्नाटक के नियंत्रण में आते हैं।