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कर्नाटक के पर्यटन मंत्री ने वित्तमंत्री से की मुलाकात, कॉफी उत्पादकों के लिए मांगी राहत

कर्नाटक के मंत्री सीटी रवि ने कहा कि पिछले दो साल से कॉफी उत्पादक भारी वर्षा, बाढ और भूस्खलन के कारण कई समस्याओं से जूझ रहे हैं।

कर्नाटक के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सी टी रवि ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। उन्होंने वित्तमंत्री से बगान में इस्तेमाल किए जाने वाले उर्वरक, पोषक तत्वों पर जीएसटी में छूट दिए जाने सहित चकमंगलूरू जिले के कॉफी, काली मिर्च, इलायची उत्पादकों के लिए राहत उपाय किए जाने की मांग की।
कोविड-19 संकट के बीच उन्होंने वित्त मंत्री के समक्ष यह मांग रखी है। उन्होंने युवा मामलों एवं खेल राज्य मंत्री किरण रिजिजू से भी मुलाकत की और उनसे चिकमंगलूरू के जिला स्टेडियम में सिंथेटिक एथलेटिक ट्रेक बिछाने और एक बहुउद्दउेशीय इंडूर स्टेडियम का निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव उनके समक्ष रखा। 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपे ज्ञापन में भारतीय जनता पार्टी शासित कर्नाटक सरकार के मंत्री ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने कोविड-19 के प्रभाव से उबरने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की है। इससे कॉफी उद्योग को कुछ हद तक मदद मिली है, लेकिन अभी स्थिति से उबरने के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।’’ 
उन्होंने जिले में कॉफी, एरेका, काली मिर्च और इलायची की खेती करने वालों के लिए राहत उपाय किए जाने की मांग की है। कर्नाटक सरकार के मंत्री ने इस प्रकार के पौध की खेती करने वाले कृषकों के लिए नकद सहायता की घोषणा करने, अल्पकालिक फसल रिण चुकाने में एक साल की रोक लगाने और फसली कर्ज के मूल और ब्याज का पुनर्गठन किए जाने के साथ ही विकास रिण दिए जाने की भी मांग की है। 
उन्होंने इस साल उर्वरक, रसायन और पोषक तत्वों पर जीएसटी से छूट दिए जाने और निर्यात प्रोत्साहन की दर को तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने की भी मांग की है। मंत्री का कहना है कि चिकमंगलूरू जिले के 15,000 के करीब कॉफी उत्पादक इस समय भारी वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि ये उत्पादक सरकार को 1,000 करोड़ रुपए के करीब कर का भुगतान करते हैं। कर्नाटक के मंत्री ने कहा कि पिछले दो साल से कॉफी उत्पादक भारी वर्षा, बाढ और भूस्खलन के कारण कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। अब पौधों को बीमारी लगाने और कोविड-19 के कारण उनकी चिंताए और बढ़ गई हैं। इसके साथ ही उत्पादन लागत बढ़ने और निर्यात में कमी से उनकी आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। 

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