कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को साहित्यकारोंऔर विचारकों ने एक खुला पत्र लिखकर उनसे ‘मुसलमानों की रक्षा करके राज्य में शांति स्थापित करने’ का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है, मुख्यमंत्री बोम्मई को राज्य में मुसलमानों की ‘सुरक्षा का आश्वासन’ देना चाहिए था, जिन्हें बार-बार ‘सांप्रदायिक ताकतों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री को यह कहना चाहिए था कि रमजान त्योहार बसवाना जयंती की तर्ज पर मनाया जाएगा। तब यह दिलों को छू जाती।
सांप्रदायिक ताकतों के पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए
साहित्यकारों ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने एक महीने से अधिक समय से उनसे मिलने और ज्ञापन देने की कोशिश की थी, मगर वे उनसे नहीं मिल पाए। पत्र में कहा गया है, इसलिए खुला पत्र जारी करने का निर्णय लिया गया है। हमने सोचा है कि इसे आपके ध्यान में लाया जाए। पत्र में मांग की जाती है कि पुलिस को संविधान के उद्देश्यों के अनुसार काम करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। सांप्रदायिक ताकतों के पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए, गवाहों की रक्षा की जानी चाहिए और सुरक्षा का आश्वासन दिया जाना चाहिए।
सांप्रदायिक ताकतों के पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए
साहित्यकारों ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने एक महीने से अधिक समय से उनसे मिलने और ज्ञापन देने की कोशिश की थी, मगर वे उनसे नहीं मिल पाए। पत्र में कहा गया है, इसलिए खुला पत्र जारी करने का निर्णय लिया गया है। हमने सोचा है कि इसे आपके ध्यान में लाया जाए। पत्र में मांग की जाती है कि पुलिस को संविधान के उद्देश्यों के अनुसार काम करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। सांप्रदायिक ताकतों के पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए, गवाहों की रक्षा की जानी चाहिए और सुरक्षा का आश्वासन दिया जाना चाहिए।
इन लोगों ने लिखा है पत्र
पत्र में आगे बढ़ते हुए साहित्यकारों ने सुझाव दिया कि सांप्रदायिक हिंसा, आगजनी और मौतों के मामले में संबंधित डीसी, जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने आग्रह किया, अल्पसंख्यकों के खिलाफ ऑनलाइन और सोशल मीडिया अभियान की निगरानी और नियंत्रण किया जाना चाहिए। सरकार को इसकी निंदा करने और कार्रवाई शुरू करने के बारे में मुखर होना चाहिए। बता दें कि, फिल्म निर्माता गिरीश कसारवल्ली, गायक एम.डी. पल्लवी, लेखक वैदेही, बी. सुरेश, एच.एस. अनुपमा, डॉ. तेजस्विनी निरंजन और नंजराज उर्स ने पत्र में अपनी चिंता प्रकट की है।
पत्र में आगे बढ़ते हुए साहित्यकारों ने सुझाव दिया कि सांप्रदायिक हिंसा, आगजनी और मौतों के मामले में संबंधित डीसी, जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने आग्रह किया, अल्पसंख्यकों के खिलाफ ऑनलाइन और सोशल मीडिया अभियान की निगरानी और नियंत्रण किया जाना चाहिए। सरकार को इसकी निंदा करने और कार्रवाई शुरू करने के बारे में मुखर होना चाहिए। बता दें कि, फिल्म निर्माता गिरीश कसारवल्ली, गायक एम.डी. पल्लवी, लेखक वैदेही, बी. सुरेश, एच.एस. अनुपमा, डॉ. तेजस्विनी निरंजन और नंजराज उर्स ने पत्र में अपनी चिंता प्रकट की है।