दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदाबहार खेवनहार बी एस येदियुरप्पा के आखिरकार नरम पड़ने और बसवराज बोम्मई की मुख्यमंत्री के तौर पर ताजपोशी का मार्ग प्रशस्त करने तथा कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के शवों को लेकर आने वाली एम्बुलेंसों की शवदाहगृहों के सामने लगी कतारें- कर्नाटक में इस साल कुछ ऐसी घटनाएं रहीं, जिन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी।
मूसलाधार बारिश की मार, मई में कोविड-19 के मामलों में बेतहाशा वृद्धि
इसके साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद दिसंबर में राज्य विधानसभा में विवादित धर्मांतरण रोधी विधेयक पारित कराने में कामयाब रही, लेकिन अभी यह विधान परिषद में पारित नहीं हुआ है जहां उसके पास बहुमत नहीं है। राज्य में 2021 में लगातार चौथे साल मूसलाधार बारिश की मार, मई में कोविड-19 के मामलों में बेतहाशा वृद्धि, ओमीक्रोन स्वरूप का भारत का पहला मामला और महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के साथ विभिन्न मुद्दों को लेकर अंतरराज्यीय विवाद देखे गए।
वह दशकों से राज्य में पार्टी का चेहरा रहे हैं लेकिन
कर्नाटक में भाजपा की वापसी के लिए जिम्मेदार येदियुरप्पा ने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर 26 जुलाई को पद से इस्तीफा दे दिया था। लिंगायत समुदाय के 78 वर्षीय नेता के लिए अभी राजनीतिक जीवनी लिखना बहुत जल्दबाजी होगी। वह दशकों से राज्य में पार्टी का चेहरा रहे हैं लेकिन चार बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद अपना कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर पाए। उन्होंने 28 जुलाई को अपने वफादार बोम्मई की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी की।
कुछ विश्लेषकों के अनुसार, उनके मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की प्रमुख वजह उनकी उम्र को माना गया। भाजपा में एक मौखिक नियम के अनुसार, 75 वर्ष की आयु से अधिक के नेताओं को निर्वाचित पदों से दूर रखा जाता है और साथ ही आलाकमान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए नेतृत्व के लिए भी रास्ता बनाना चाहता था। राज्य में 2023 के मध्य में चुनाव हो सकते हैं।
कम से कम 123 सीटें जीतने का लक्ष्य है
हालांकि, भाजपा के हंगल विधानसभा सीट पर उपचुनाव हारने जो कि बोम्मई का पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्र है और हाल के एमएलसी चुनावों में कोई खास प्रदर्शन न करने से बोम्मई की चिंताएं बढ़ गयी है। कांग्रेस भी अपने दो प्रमुख चेहरों नेता प्रतिपक्ष सिद्दरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार के दो खेमों में बंटने को लेकर सुर्खियों में रही। दोनों नेताओं के समर्थकों ने खुलकर उन्हें पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बताया।
पार्टी के भविष्य के लिए अगले विधानसभा चुनावों को अहम माना जा रहा है। जनता दल (सेक्यूलर) ने विधानसभा चुनावों में अपने बलबूते सत्ता में आने के मकसद से कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण सत्रों की शुरुआत के साथ तैयारियां शुरू कर दी हैं। उसका कम से कम 123 सीटें जीतने का लक्ष्य है।
अप्रैल-मई में कई हृदय विदाकर दृश्य देखे गए
महामारी के मोर्चे पर कोविड-19 इस साल भी राज्य के लिए सिरदर्द बना हुआ है। मई में हर दिन 50,000 से अधिक मामले आने और करीब 350 मरीजों की मौत होने के कारण सरकार को राज्य में लॉकडाउन समेत सख्त पाबंदियां लागू करनी पड़ी थी। चामराजनगर जिले में मई में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण 24 कोविड मरीजों की मौत की घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया था। अप्रैल-मई में कई हृदय विदाकर दृश्य देखे गए। कोविड मृतकों के शवों को लाने वाली एम्बुलेंसों को शहर में शवदाहगृहों के बाहर इंतजार करते हुए देखा गया।
साल के खत्म होते-होते कर्नाटक में ओमीक्रोन के दो मरीज सामने आए, जिनमें से एक स्थानीय था और एक दक्षिण अफ्रीका से आया अंतरराष्ट्रीय यात्री था। यह देश में कोरोना वायरस के इस नए स्वरूप के पहले मामले थे। हाल के दिनों में राज्य में महामारी के मामलों की संख्या भी बढ़ी है जिसके कारण सरकार को 28 दिसंबर से 10 दिनों के लिए ‘‘रात्रि कर्फ्यू’’ लगाना पड़ा और सार्वजनिक स्थानों पर नव वर्ष पर होने वाले सभी जश्न समारोह पर भी रोक लगानी पड़ी है। पिछले साल के गोवध रोधी विधेयक के बाद सरकार ने विधानसभा में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का सरंक्षण विधेयक, 2021 पारित किया जिससे गैरकानूनी धर्मांतरण पर रोक लगा दी गयी।
कन्नड़ को भारत की ‘‘सबसे खराब भाषा’’ दिखाना
राज्य में 2018 के बाद से लगातार चौथे साल मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन आए जिससे जन जीवन को काफी हानि हुई। सरकार के अनुसार, अक्टूबर में बाढ़ और बारिश में कम से कम 42 लोगों की मौत हो गयी और 9.90 लाख हेक्टेयर की फसलों को नुकसान पहुंचा।
इस साल अमेजन के अपनी कनाडा वाली वेबसाइट पर कर्नाटक के ध्वज और प्रतीक के रंगों वाली बिकनी बेचने, गूगल सर्च के नतीजों में कन्नड़ को भारत की ‘‘सबसे खराब भाषा’’ दिखाना और केंद्र द्वारा कथित तौर पर ‘‘हिंदी भाषा थोपने’’ जैसी घटनाओं ने राज्य में सोशल मीडिया पर व्यापक आक्रोश पैदा किया।
पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु के साथ कावेरी नदी को लेकर मेकेदातु परियोजना के क्रियान्वयन के संबंध में विवाद और महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद भी चर्चा में रहे। इसके अलावा राष्ट्रीय नायकों शिवाजी महाराज और बेंगलुरु तथा बेलगावी में संगोली रायन्ना की प्रतिमाओं को विरूपित करने तथा कोल्हापुर में कन्नड़ ध्वज जलाने जैसी घटनाओं ने सभी खूब सुर्खियां बटोरी।
पुनीत राजकुमार का 46 वर्ष की आयु में निधन
मैसुरु के चामुंडी हिल्स के समीप छह लोगों द्वारा एक कॉलेज की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने भी राज्य के लोगों में काफी आक्रोश पैदा किया। कन्नड़ सिनेमा के मशहूर अभिनेता पुनीत राजकुमार का 46 वर्ष की आयु में निधन ने उनके प्रशंसकों और राज्य को ग़मज़दा कर दिया।