राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने शनिवार को आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए भारतीयों की भर्ती करने के मामले में यास्मीन मोहम्मद जाहिद को सात साल की सजा सुनाई है। उसे केरला भर्ती केस से संबंध रखने के मामले में यह सजा सुनाई गई है। मंगलवार को कोर्ट ने आतंकी भर्ती मामले में ट्रायल पूरा कर लिया था। बिहार की रहने वाली जाहिद उन दो आरोपियों में शामिल है जिसका नाम पहले केरला पुलिस की और बाद में एनआईए की जांच में सामने आया था। राज्य में आईएस-संबंधित मामले में यह पहला फैसला है।
यास्मीन अहमद जुलाई 2016 में दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार हुई थी, जब वह अपने नाबालिग पुत्र के साथ देश छोड़कर आंतकी संगठन आईएस में शामिल होने जा रही थी। बाद में केरल पुलिस ने उसे 15 लापता लोगों (कुल 21) के मामले में आरोपी बनाया था। जो कथित तौर पर आईएस में शामिल हो गए थे। बाद में यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया था। एजेंसी ने साल 2017 में इस मामले को लेकर चार्जशीट दाखिल की थी। जिसमें उसने अब्दुल राशिद अब्दुल्ला और यास्मीन को दो आरोपी बनाया था।
अदालत ने कहा कि, वह उग्रवादी संगठन में शामिल होने के लिए युवाओं को उकसाती थी और उनकी मदद करती थी। अदालत ने 52 अभियोजन पक्ष के गवाह और एक बचाव गवाह और करीब 50 अन्य सबूतों के आधार पर वह देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की दोषी पाई गई। अभियोजन पक्ष ने कहा कि जब वह पीस इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ा रही थी, तब वह अब्दुल रशीद के संपर्क में आईं। राशिद राज्य के लापता युवकों के लीडर था।
कोर्ट ने धारा 125 के तहत सात साल की सजा और धारा 38, 39 और 40 के तहत सात साल की सजा दी है। इसके अलावा कोर्ट ने आरोपी पर 25,000 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अभियोजन ने कहा कि, यास्मीन ने युवाओं के लिए देश से बाहर भेजने के सारे जमीनी काम देखती थी।
वह लगातार रशीद के संपर्क में थी। वह दूसरे लोगों के साथ ही देश छोड़ने वाली थी। लेकिन उसके बेटे का पासपोर्ट न बन पाने के कारण उनके साथ नहीं जा सकी। इसके बाद पुलिस ने उसे 30 जुलाई, 2016 को केरल पुलिस ने दिल्ली अतंर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया।