केरल हाई कोर्ट ने 14 आपराधिक मामलों में 18 वर्ष से अधिक की कैद की सजा काट चुके एक व्यक्ति को राहत देते हुए उसे तत्काल रिहा करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि व्यक्ति को 2003 में गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद से ही वह जेल में बंद था और अगर अदालत हस्तक्षेप नहीं करती तो वह चोरी, सेंधमारी जैसे अपराधों के लिए 30 वर्ष तक जेल में ही रहता।
व्यक्ति ने सभी 14 मामलों में अपराध कबूल कर लिया था और सभी मामलों में उसे छह से पांच वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई थी, जो अलग-अलग जोड़कर 30 वर्ष छह माह की सजा होती है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अपराध को अलग-अलग वक्त पर अंजाम दिया गया और मामले अलग अलग निचली अदालतों में लंबित थे और किसी ने भी दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया कि सभी सजा एक साथ चलने का आदेश देते।
अदालत ने कहा कि अगर निर्देश दिए जाते तो दोषी शिवनंदन कुल मिला कर पांच वर्ष की कैद की सजा काट कर छूट जाता। किसी भी निचली अदालत द्वारा ऐसे निर्देश नहीं दिए जाने के कारण दोषी जेल में ही रहा और अगर हाई कोर्ट उसकी रिहाई के आदेश नहीं देता तो उसे 30 वर्ष छह माह की सजा काटनी पड़ती।