जल स्रोतों को लेकर केरल हाई कोर्ट ने कहा कि नदियों और अन्य जल संसाधनों का संरक्षण राज्य के साथ-साथ संबंधित स्थानीय निकायों का मौलिक दायित्व है, जिनके साथ वे निहित हैं। यह टिप्पणी केरल सरकार और कोट्टायम की 3 नगरपालिकाओं को वहां ‘मीनाचिल’ नदी के पानी की शुद्धता बनाए रखने और नदी के किनारे से सभी अतिक्रमण हटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हुए की गई।
मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पे चेली ने कहा, “नदियों और अन्य जल संसाधनों का संरक्षण राज्य के साथ-साथ संबंधित स्थानीय निकायों का मौलिक दायित्व है, जिनके साथ वे निहित हैं।’’ पीठ ने राज्य और अन्य निकायों को समय-समय पर, तीन महीने में एक बार निरीक्षण करने और कोट्टायम के जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश भी दिया। इन निर्देशों के साथ, पीठ ने कुछ लोगों के संगठन द्वारा दायर याचिका का निपटा किया, जो नदियों के संरक्षण और आस-पास के जमींदारों द्वारा अतिक्रमण को रोकने में रुचि रखते हैं।
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, उन्होंने शुरुआत में जिलाधिकारी और सर्वेक्षण उपनिदेशक से सर्वेक्षण और राजस्व रिकॉर्डों के आलोक में मीनाचिल नदी की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने और किसी तरह का अतिक्रमण हो तो उसे हटाने का आग्रह किया था। हालांकि, सर्वेक्षण उप निदेशक ने याचिकाकर्ता संगठन को तालुक कार्यालयों से संपर्क करने और अपनी जेब से खर्च का भुगतान करके सर्वेक्षण पूरा करने का निर्देश दिया।
निर्देश को बेहद गैर-कानूनी बताते हुए, याचिकाकर्ता संगठन ने कहा कि सर्वेक्षण करना राज्य और स्थानीय अधिकारियों का कर्तव्य है। नगर निकायों ने अपने बचाव में, पीठ से कहा कि याचिका में उठाई गई समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए गए हैं।