आतंकी संगठनों से संबंध के कारण प्रतिबंधित संगठन पीएफआई को केरल हाईकोर्ट ने बड़ी चोट दी हैं। केरल हाईकोर्ट ने केएसआरटीसी को हिंसा में तोड़फोड़ करने वाले पीएफआई कार्यकर्ताओं से हर्जाना वसूलने का आदेश दिया है। केरल हाईकोर्ट ने पीएफआई हर्जाना की राशि सरकारी खजाने में जमा कराना का आदेश दिया हैं।
दरअसल एनआईए की प्रथम चरण की कार्रवाई के विरोध में पीएफआई कार्यकर्ताओं ने केरल में अपने प्रभावी वाली स्थानों में जमकर पुलिस बल , राज्य के साधनोंं पर हमला किया था, जिसमें कई व्यक्ति घायल हुए थे। बिना सूचित किए हड़ताल बुलाने पर हाईकोर्ट ने शुरूआत में ही कड़ा रूख अख्तियार करते हुए प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। केरल हाईकोर्ट ने बड़ी व्यवस्था करते हुए कहा की इस अपराधिक मामलों में पीएफआई के राज्य सचिव अब्दुल सत्तार को एक पक्ष बनाया जाए।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने कहा की अगर पीएफआई के आरोपी हिंसा की भरपाई की पूर्ति नहीं करते हैं , उन्हे जमानत नहीं दी जाएगी।
आपको बता दे कि किसी भी विरोध में हड़ताल करने से पहले सात पहले ही राज्य प्रशासन को नोटिस दिया जाता हैं , लेकिन पीएफआई कार्यकर्ताओं ने कानून का उल्लंघन करते हुए जमकर हिंसा की थी। हिंसा पर केरल हाईकोर्ट ने स्वत: सज्ञान लेकर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
केएसआरटीसी ने हाईकोर्ट में कहा – हिंसा में तोड़फोड़ की जाने वाली बसों की मरम्मत कराना मुश्किल
केएसआरटीसी ने अपनी याचिका में पीएफआई के खिलाफ हर्जाना वसूलने के लिए कहा कि हिंसा में जिन बसों को नुकसान पहुंचाया गया हैं, उनकी मरम्मत कराना मुश्किल हैं, विभाग पहले ही भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा हैं। बसों का संचालन पहले की तरह की उस दिन भी संचालित था, लेकिन पीएफआई के अवैध बंद के दौरान 58 बसों को तोड़ा गया। जिस कारण केएसआरटीसी को पीएफआई से हर्जाना दिलाया जाना चाहिए।
बता दे की केरल में पीएफआई का सबसे अधिक प्रभाव हैं, केरल के कई समूचे इलाके इस आतंकी संगठन की जद में हैं। एनआईए की कार्रवाई के दौरान केरल में पीएफआई से जुड़े लोगों ने बडे पैमाने हिंसक प्रदर्शन किया था। छापेमारी में एनआईए ने पीएफआई के नेतृत्व को पकड़ लिया था। जिसमें करीब 102 लोगों को हिरासत में लिया गया था।