देश में ड्रोन से आतंकी गतिविधियां बढ़ने लगी है, इस वक्त ड्रोन एक बड़े सुरक्षा खतरे के रूप में उभर रहा है। केरल पुलिस ने इस संबंध में बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए शुक्रवार को तिरुवनंतपुरम में ड्रोन फॉरेंसिक प्रयोगशाला एवं अनुसंधान केंद्र शुरू किया है। यह अपनी तरह का पहला संस्थान है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि ड्रोन के खतरे के पहलुओं को हल करने के अलावा, इस प्रयोगशाला-सह-अनुसंधान केंद्र में मानव रहित हवाई वाहनों की उपयोगिता पक्ष की भी जांच की जाएगी।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सैप परेड ग्राउंड में आयोजित एक समारोह में अनूठी पहल का उद्घाटन किया, जिसके बाद ड्रोन का प्रदर्शन और एयर शो किया गया। समारोह में विजयन ने कहा कि ऐसी जानकारी है कि राष्ट्र विरोधी ताकतें जासूसी, तस्करी और आतंकवाद सहित विभिन्न विनाशकारी गतिविधियों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने हाल ही में जम्मू हवाईअड्डे पर आतंकवादियों द्वारा किए गए ड्रोन हमले का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, यह आजकल पुलिस सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रहा है। केरल पुलिस इसके मद्देनजर इस तरह के एक प्रयोगशाला-सह-अनुसंधान केंद्र लेकर आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस केंद्र में न केवल अनधिकृत ड्रोन का पता लगाया जाएगा, बल्कि पुलिस बल की मदद के लिए मांग के अनुसार हवाई वाहनों का निर्माण भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि कैसे ड्रोन का इस्तेमाल कानून-व्यवस्था को बनाए रखने और लॉकडाउन के दौरान भीड़ प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
केरल पुलिस की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य बल कई अन्य राज्यों की पुलिस की तुलना में जांच और दिन-प्रतिदिन के कार्य में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में बहुत आगे है। इससे पहले, एडीजीपी मनोज अब्राहम ने एक वीडियो संदेश में कहा कि मानव रहित हवाई वाहनों के खतरे से निपटने के लिए नए केंद्र में एक ड्रोन रोधी प्रणाली विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा, प्रणाली पांच किमी के दायरे में उड़ने वाले सभी प्रकार के ड्रोन की पहचान करने में सक्षम होगी। यह इसे मार गिराने में भी सक्षम होगी।