भोपाल : भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में अब कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का उपचार बंद हो गया है गौरतलब हो कि बीएमएचआरसी अस्पताल भोपाल गैस पीड़ितों के लिए बनाया गया था। बीएमएचआरसी का अब केवल कोविड—19 के तहत नमूना जांच लैब के रूप में उपयोग किया जाएगा।''
मालूम हो कि 23 मार्च को कोविड—19 बीमारी की रोकथाम हेतु बीएमएचआरसी को मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य स्तरीय कोविड-19 उपचार संस्थान के रूप में चिन्हांकित किया था और तत्पश्चात 28 मार्च को दूसरा आदेश जारी कर इस अस्पताल को जिला कलेक्टर के अधीन जिला प्रशासन भोपाल को सौंप दिया था। इसके बाद इस अस्पताल में केवल कोविड-19 मरीजों का ही उपचार हो रहा था और वहां भर्ती भोपाल गैस पीड़ित मरीजों को हटा दिया गया था, जिससे कथित रूप से इलाज के अभाव में नौ भोपाल गैस पीड़ितों की मौत हो गई। इनमें से पांच मरीजों की मरने के बाद जांच में पता चला कि ये कोविड—19 से संक्रमित थे।
मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त फैज अहमद किदवई ने बताया, ''उक्त दोनों आदेशों को शासन द्वारा तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।'' उन्होंने कहा, ''बीएमएचआरसी को जब उससे पूछा गया कि कोविड—19 के लिए चिन्हांकित करने के मात्र 23 दिन बाद ही ऐसा क्यों किया गया, तो इस पर उन्होंने कहा, ''उच्चतम न्यायालय में याचिका लगी थी कि इससे गैस पीड़ित लोग प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए हटा दिया है।''
बीएमएचआरसी में केवल कोविड-19 के मरीजों का ही उपचार करने और भोपाल गैस पीड़ित मरीजों का उपचार न करने के खिलाफ भोपाल गैस पीड़ितों के हितों के लिये लंबे अरसे से काम करने वाले संगठन ‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ द्वारा यह जनहित याचिका दायर की गई थी। ‘भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन’ की सदस्य रचना ढींगरा ने बीएमएचआरसी को कोविड-19 के उपचार के लिए पूर्ण रूप से हटाने और पहले की तरह केवल भोपाल गैस पीड़ितों का उपचार फिर से शुरू करने के आदेश का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि हमारी जनहित याचिका की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके मित्तल व न्यायमूर्ति विजय शुक्ला की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किए गए हैं और 21 अप्रैल को बीएमएचआरसी में गैस पीड़ितों के इलाज के सम्बन्ध में विस्तृत हलफनामे देने के लिए आदेशित किया है। इस मामले की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ द्वारा की गई। ढींगरा ने कहा कि प्रशासन का यह फैसला स्वागत योग्य है क्योंकि उन्होंने इस बात की महत्वता समझी है कि कोविड—19 संक्रमण के चलते गैस पीड़ितों पर विशेष ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है।
ढींगरा ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह बीएमएचआरसी एवं अन्य सभी गैस राहत अस्पतालों में इलाज करवा रहे पंजीकृत मरीजों के साथ तुरंत सम्पर्क कर उनका हाल जाने एवं उनकी कोविड—19 की जांच सुनिश्चित कराए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि कोविड—19 महामारी से जाने गंवाने वाले सभी गैस पीड़ित मृतकों के परिजन को 50—50 लाख रूपये की राहत राशि दी जाए। ढींगरा ने दावा किया, ''भोपाल में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक पांच व्यक्तियों की मौत हो चुकी है और ये पांचों भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित थे।'' ढींगरा ने यह भी आरोप लगाया कि गैस पीड़ित भर्ती मरीजों को जबरदस्ती बीएमएचआरसी से हटाने के कारण चार अन्य गैस पीड़ितों ने भी दम तोड़ा है।