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हरिद्वार में लाखों कांवड़ियों ने जमाया डेरा

धर्मनगरी में चारों तरफ शिवभक्तों की भीड़ नजर आ रही है। कांवड़ पटरी से पैदल जाने वाले शिवभक्त रवाना हो रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में डाक कांवड़ियों ने भी डेरा डाल दिया है। लाखों डाक कांवड़िए हरिद्वार पहुंच गए हैं।

हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी): धर्मनगरी में चारों तरफ शिवभक्तों की भीड़ नजर आ रही है। कांवड़ पटरी से पैदल जाने वाले शिवभक्त रवाना हो रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में डाक कांवड़ियों ने भी डेरा डाल दिया है। लाखों डाक कांवड़िए हरिद्वार पहुंच गए हैं। बैरागी कैंप पर हजारों बड़े वाहन खड़े हैं। हर तरफ बम-बम भोले के जयकारों की गूंज से शहर शिवमय हो गया है। हाईवे समेत शहर के अंदरूनी मार्गों पर भी कांवड़ियों की भीड़ नजर आ रही है।
प्रशासन का दावा
आठ दिन के कांवड़ मेले में अभी तक एक करोड़ 87 हजार कांवड़िए पहुंच गए हैं। आज शुक्रवार को सबसे अधिक 40 लाख कांवड़ियों ने गंगा जल भरा। कांवड़ मेला सेल के प्रभारी बीएल भारती ने बताया कि गुरुवार को जहां 35 लाख कांवड़िए गंगा जल भरकर अपने गंतव्यों की ओर रवाना हुए। वहीं, आज संख्या इससे अधिक रही। धर्मनगरी में डाक कांवड़ियों की भीड़
धर्मनगरी में चारों तरफ शिवभक्तों की भीड़ नजर आ रही है। कांवड़ पटरी से पैदल जाने वाले शिवभक्त रवाना हो रहे हैं। हाईवे समेत शहर के अंदरूनी मार्गों पर भी कांवड़ियों की भीड़ नजर आ रही है।
कांवड़ पटरी और हाईवे पर पैदल जाने वाले शिवभक्तों की तेजी से वापसी हो रही है। बड़ी संख्या में बड़े वाहनों से पहुंचने वाले शिवभक्तों की संख्या में इजाफा हो गया है। जगजीतपुर से कांवड़ियों के वाहनों को बैरागी कैंप पार्किंग की ओर भेजा जा रहा है। चारों तरफ शहर में कांवड़िए नजर आ रहे हैं।
प्रशासनिक अमला कांवड़ पटरी पर, बाईपास से जा रहे कांवड़ यात्री
कांवड़ यात्रा चरम पर है, शिवभक्त बम-बम भोले के जयकारों के साथ अपने पग बढ़ा रहे हैं। इस बीच कांवड़ पटरी छोड़कर कांवड़ यात्रियों का रेला दिल्ली-हरिद्वार बाईपास पर उमड़ा हुआ है। जबकि, प्रशासन की ओर से सभी व्यवस्थाएं कांवड़ पटरी पर की गई हैं। वहीं बाईपास पर सुविधाओं के नाम पर न ही शौचालय की व्यवस्था है और न ही कोई यात्री शेड है। वहीं पुलिस और प्रशासनिक अमले की तैनाती भी कांवड़ पटरी पर ही की गई है।
कोरोना संक्रमणकाल के दौरान दो साल साल तक ठप पड़ी कांवड़ यात्रा ने सावन शुरू होने के साथ ही रफ्तार पकड़ ली है। इसी बीच दिल्ली-हरिद्वार हाईवे के लिए बाईपास तैयार कर दिया गया। प्रशासन की ओर से बाईपास को नजरअंदाज करते हुए परंपरागत ढंग से कांवड़ पटरी पर सभी तैयारियां की गई। वैसे तो कांवड़ यात्रा की शुरुआत से ही यात्री बाईपास से जाने लगे थे, लेकिन प्रशासन उन्हें कांवड़ पटरी से भेज रहा था। अभी स्थिति यह है कि रुड़की में पुराना हाईवे बंद पड़ा है, यहां इक्का-दुक्का कांवड़ यात्री ही आ रहे हैं, जबकि कांवड़ पटरी पर भी यात्रियों की संख्या कम हो गई है। वहीं बाईपास पर कांवड़ यात्रियों का रेला उमड़ रहा है। बाईपास पर दो कतारों में कांवड़ यात्री और उनके वाहन चल रहे हैं, जबकि एक साइड से स्थानीय वाहनों का संचालन किया जा रहा है।
कांवड़ यात्रियों की परीक्षा ले रहा पल-पल बदलता मौसम
हरिद्वार से गंगाजल भरकर ला रहे कांवड़ यात्रियों की सूर्य और इंद्रदेव परीक्षा ले रहे हैं। प्रतिदिन बदलता मौसम का मिजाज कांवड़ यात्रियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। ऐसे में कांवड़ यात्री डिहाइड्रेशन और वायरल बुखार के शिकार हो रहे हैं।
श्रावण माह में इस बार शुरुआत में मौसम काफी गर्म रहा। दिन निकलते ही चिलचिलाती धूप परेशान कर रही थी। धूप में कुछ समय के लिए भी खड़ा होना मुश्किल हो रहा था। वहीं अचानक वर्षा भी हो रही है। इससे उमस काफी बढ़ गई है। हालांकि आज शुक्रवार को झमाझम वर्षा और आसमान में बादल छाने से कुछ राहत जरूर मिली। हालांकि बदलते मौसम के कारण कई कांवड़ यात्री डिहाइड्रेशन और वायरल बुखार के शिकार हो रहे हैं। पिछले सप्ताह भर से रोजाना तीन से चार कांवड़ यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। सभी कांवड़ यात्री डिहाइड्रेशन के शिकार थे। 
अस्पताल में उनका उपचार चल रहा है। सरकारी अस्पताल के डाक्टर ने बताया कि अस्पताल में जो कांवड़ यात्री उपचार को आ रहे हैं, उनमें अधिकांश कांवड़ यात्री डिहाइड्रेशन के शिकार हुए हैं। आज पांच कांवड़ यात्रियों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। इनमें दो कांवड़ यात्री दुर्घटना में घायल हुए थ्रे, जबकि तीन कांवड़ यात्री को डायरिया हुआ है। इससे उनके शरीर में पानी की कमी हो गई है, उनका उपचार किया जा रहा है। फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर है। वहीं भीगने के चलते बुखार की आशंका भी बनी हुई है। उन्होंने कांवड़ यात्रियों से भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ और ग्लूकोज आदि लेने की सलाह दी। साथ ही वर्षा होने पर भीगने से बचने को भी कहा।

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