मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए 28 नवंबर को डाले गए मतों की गिनती मंगलवार सुबह आठ बजे कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गई। वोटों की गिनती आठ जिला मुख्यालयों के 13 केन्द्रों पर चल रही है। निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती होगी। उनकी गिनती खत्म होने के बाद ही ईवीएम के वोटों की गणना शुरू होगी।
– मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) 21 सीटों पर आगे, कांग्रेस 4, बीजेपी 2 सीट पर है और 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार हैं।
– चुनाव आयोग ने कहा कि पहले चरण की मतगणना में मुख्यमंत्री लाल थनहवला सेरछिप में जेडपीएम के लालदूहोमा से पीछे चल रहे हैं।
– 22 सीटों पर मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) आगे चल रही है। वहीं कांग्रेस-8, अन्य- 4 और बीजेपी- 1 सीट पर आगे चल रही है।
– 13 सीटों के रुझानों पर मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) सबसे आगे चल रही है। वहीं कांग्रेस- 6 और बीजेपी-1 सीटों पर आगे चल रही है।
– मिजो नेशलन फ्रंट (MNF) के उम्मीदवार आर लालजिरलिएना तावी विधानसभा सीट से कांग्रेस के रोसिआम्मघेता से 200 मतों से आगे है।
– अभी तक मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) सबसे आगे चल रही है। वहीं कांग्रेस ने एक सीट को अपने नाम करते हुए खाता खोला तो वहीं बीजेपी को कोई सीट नहीं हासिल हुई।
चुनाव परिणाम यह तय करेगा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री लाल थनहावला फिर से सत्ता में लौटेंगे या नहीं। 28 नवंबर को पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम की सभी 40 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ था और करीब 75 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में 7,70,395 मतदाता हैं जिनमें 3,94,897 महिला मतदाता भी शामिल हैं।
चुनावी मुकाबले में 209 प्रत्याशी मैदान में है जिनमें से 15 महिलाएं हैं। कुल 1,179 मतदान केंद्रों में से 47 ‘संवेदनशील’ हैं और इतने ही ‘अति संवेदनशील’ हैं। 2013 के चुनावों में कांग्रेस को 34 सीटें मिली थीं जबकि मुख्य विपक्षी दल मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को पांच तथा मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस को एक सीट मिली थी।
कांग्रेस और एमएनएफ 1987 से ही मिजोरम की सत्ता पर काबिज हैं। भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में कांग्रेस को हटाकर राज्य में अपना सत्ता काबिज करने के प्रयास में है। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर के अन्य सभी राज्यों में भाजपा या भाजपा के सहयोग से बनी सरकारें हैं। दिलचस्प बात है कि 1987 में मिजोरम के पृथक राज्य बनने से लेकर अब तक कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में नहीं आयी है।