भगवान राम का मंदिर हिंदुओं के धर्माचार्यों द्वारा ही बनाना चाहिये। राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित संगठनों के द्वारा नहीं। भगवान राम सब के हैं उनके जन्म भूमि पर निर्माण की ज़िम्मेदारी रामालय ट्रस्ट को ही देना चाहिये। pic.twitter.com/U5Kw9JrAdO
— digvijaya singh (@digvijaya_28) January 5, 2020
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “रामालय ट्रस्ट में सभी शंकराचार्य और रामानंदी सम्प्रदाय से जुड़े अखाड़ा परिषद के सदस्य ही हैं और जगदगुरु स्वामी स्वरूपानंद जी सबसे वरिष्ठ होने के नाते उसके अध्यक्ष हैं। रामालय ट्रस्ट के माध्यम से ही रामलला के मंदिर का निर्माण होना चाहिए।”
रामालय ट्रस्ट में सभी शंकराचार्य और रामानन्दी सम्प्रदाय से जुड़े अखाड़ा परिषद के सदस्य ही हैं और जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी सबसे वरिष्ठ होने के नाते उसके अध्यक्ष हैं। रामालय ट्रस्ट के माध्यम से ही रामलला के मंदिर निर्माण होना चाहिये।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “रामलला के मंदिर का निर्माण शासकीय कोष से नहीं होना चाहिए। विश्व का हर हिंदू भगवान राम को ईश्वर का अवतार मानता है और मंदिर निर्माण में सहयोग करेगा। विहिप ने मंदिर निर्माण में जो चंदा जुटाया, वे उसे अपने पास रखें और उसका उपयोग समाज की कुरीतियों को समाप्त करने में खर्च करें।”
रामलला के मंदिर का निर्माण शासकीय कोष से नहीं होना चाहिये विश्व का हर हिंदू भगवान राम को ईश्वर का अवतार मानता है और मंदिर निर्माण में सहयोग करेगा। विहिंप ने मंदिर निर्माण में जो चंदा उगाया वो उसे अपने पास रखें और उसका उपयोग समाज की कुरीतियों को समाप्त करने में ख़र्च करें।
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ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर माह में अयोध्या के राम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायालय ने एक ट्रस्ट बनाकर उसके जरिए मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया है। वहीं अन्य स्थान पर मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन का प्रबंध करने का आदेश भी न्यायालय ने दिया है।